परिशिष्ट
परिशिष्ट १
एशियाई कानून संशोधन अधिनियम
१८८५ के कानून ३ में संशोधनार्थ
(२२ मार्च, १९०७ [को] स्वीकृत)
ट्रान्सवाल सरकार द्वारा प्रकाशित पूरा अधिकृत पाठ नीचे दिया जाता है:
महामहिम सम्राट् द्वारा ट्रान्सवाल विधान परिषद और विधान सभाकी सलाह और अनुमतिसे निम्नलिखित कानून बनाया जाता है:
१. संसदके प्रस्तावों द्वारा १२ अगस्त १८८६ की धारा १४१९ और १६ मई १८९० की धारा १२८ से संशोधित सन् १८८५ के कानून ३ की धारा २ का उपखण्ड (ग) इसके द्वारा रद किया जाता है।
२. इस अधिनियममें, जबतक वह मूल पाठसे असंगत न हो, "एशियाई" का अर्थ होगा १८८५ के कानून ३ की धारा एकमें बताया गया पुरुष, जो मलायामें उत्पन्न और दक्षिण आफ्रिकाके किसी ब्रिटिश उपनिवेश या अधिकृत प्रदेशका अधिवासी न हो और न ही १९०४के श्रम आयात-अध्यादेशके अन्तर्गत लाया गया व्यक्ति अथवा चीनी वाणिज्य दूतावासकी सेवामें नियुक्त कोई अधिकारी हो;
"एशियाई पंजिका" (रजिस्टर ऑफ़ एशियाटिक्स) का अर्थ होगा वह पंजिका जो इस कानून के अन्तर्गत विनियममें बताई गई विधिसे रखी जायेगी;
"पंजीयक" का अर्थ होगा वह अधिकारी जो गवर्नर द्वारा एशियाई पंजिका रखनेके लिए नियुक्त किया जाये और ऐसा कोई भी व्यक्ति जो कानूनके अनुसार उस पदका कार्य वहन करे;
"आवासी न्यायाधीश" में सहायक आवासी न्यायाधीश भी सम्मिलित होगा;
"विनियम" का अर्थ होगा इस अधिनियमके खण्ड अठारहके अन्तर्गत बनाया गया कोई भी विनियम;
"अभिभावक" का अर्थ होगा सोलह वर्ष से कम आयुके एशियाईके पिता-माता अथवा कोई दूसरा व्यक्ति जिसके संरक्षण या नियंत्रण में ऐसा एशियाई उस समय रहता हो; या यदि ऐसा कोई व्यक्ति न हो तो ऐसे एशियाईका मालिक;
"पंजीयन प्रार्थनापत्र" का अर्थ होगा ऐसा प्रार्थनापत्र जो एशियाई पंजिका में रखा जायेगा, वह विनियम द्वारा बताई गई विधिसे और विहित रूपमें दिया जायेगा और उसके साथ इस अधिनियम या विनियम द्वारा विहित विवरण और शिनाख्त के निशान होंगे;
"प्रार्थी" का अर्थ होगा वह व्यक्ति, जो अपनी ओरसे पंजीयनका प्रार्थनापत्र देता है या जिसकी ओरसे उसका संरक्षक प्रार्थनापत्र देता है;
"पंजीयन प्रमाणपत्र" का अर्थ होगा इस अधिनियमके अन्तर्गत विनियमों द्वारा विहित रूपमें पंजीयनका प्रमाणपत्र;
"वैध धारक", किसी पंजीयन प्रमाणपत्रके सम्बन्ध में प्रयुक्त अर्थ में वह व्यक्ति होगा जिसका पंजीयन उसके द्वारा प्रमाणित किया जाता है।