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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय
(२) यदि पंजीयकको यह प्रतीत हो कि कोई प्रार्थी इस उपनिवेशका वैध अधिवासी नहीं है, तो वह उसको पंजीकृत करनेसे इनकार कर सकता है; और इनकारीकी हालतमें, प्रार्थीकी आयु सोलह सालकी या ज्यादा होनेपर उसको प्रार्थनापत्रपर दिये गये पतेसे डाक द्वारा इनकारीकी सूचना भिजवायेगा; और इस सूचनाकी एक प्रतिलिपि जिस जिलेमें वह प्रार्थनापत्र दिया गया था उस जिलेके न्यायाधीशके कार्यालयके मुख्य द्वारपर चिपका दी जायेगी; और पंजीयक इस सूचना द्वारा प्रार्थीको जिलेके आवासी न्यायाधीशके सम्मुख उसमें निर्धारित किये गये समयपर, जो इस सूचनाकी तारीखसे कमसे कम चौदह दिन बाद होगा, उपस्थित होने और यह बतानेका निर्देश देगा कि उसको उस उपनिवेशसे चले जानेकी आज्ञा क्यों न दी जाये; और यदि प्रार्थी उस सूचनामें दिये गये समयपर उपस्थित न हो, या उपस्थित होनेपर आवासी न्यायाधीशको यह सन्तोष न दिला सके कि प्रार्थी उपनिवेशका वैध अधिवासी है, तो आवासी न्यायाधीश यदि प्रार्थी सोलह साल या उससे अधिक आयुका हो, लिखित आज्ञा देकर उसे निर्दिष्ट अवधिके अन्दर उपनिवेश से चले जानेका आदेश देगा। यह व्यवस्था सदा रहेगी कि यदि यह आदेश प्रार्थीकी अनुपस्थितिमें दिया जाये तो अवधिका आरम्भ उसको आदेश मिलनेकी तारीखसे होगा, और यह आशा १९०३ के शान्ति-रक्षा अध्यादेशके खण्ड छः के अन्तर्गत दी गई समझी जायेगी और इस अध्यादेशके खण्ड सात और आठ भी इसी प्रकार लागू होंगे। यह व्यवस्था भी की जाती है कि यदि आवासी न्यायाधीशको प्रार्थीके उपनिवेशका वैध अधिवासी होनेका विश्वास हो जायेगा तो वह पंजीयकको प्रार्थीका पंजीयन करने और उसे पंजीयन प्रमाणपत्र देनेका आदेश दे देगा।
संरक्षकों द्वारा विवरण देने और प्रार्थनापत्र भेजनेकी व्यवस्था
६. (१) कोई भी एशियाई जो आठ वर्ष से कम आयुके किसी एशियाई बच्चेका संरक्षक हो, अपनी ओरसे पंजीयनका प्रार्थनापत्र देनेपर नियमके अनुसार बच्चेका विवरण और शिनाख्त के निशान देगा; और यदि संरक्षक स्वयं पंजीकृत है तो उसके द्वारा दिया गया पूर्वकथित विवरण अस्थायी रूपसे पंजिकामें दर्ज कर लिया जायेगा, और संरक्षक बच्चेकी आयु आठ वर्षकी होनेके बाद एक वर्षके भीतर अपने निवासके जिलेके आवासी न्यायाधीशके कार्यालयमें उस बच्चेफी ओरसे पंजीयनका प्रार्थनापत्र देगा;
(२) इस अधिनियमके लागू होनेकी तारीखके बाद उपनिवेशमें पैदा हुए प्रत्येक एशियाई बच्चेका संरक्षक, बच्चेकी आयु आठ वर्षकी होनेके बाद एक वर्ष के भीतर उसकी ओरसे अपने निवासके जिलेके आवासी न्यायाधीशके कार्यालय में पंजीयनका प्रार्थनापत्र देगा;

व्यवस्था की जाती है कि:

(क) जहाँ कोई संरक्षक किसी एशियाई बच्चेकी ओरसे, जिसका वह संरक्षक है, इसके द्वारा निर्धारित समयके भीतर पंजीयनका प्रार्थनापत्र नहीं देता, वहाँ वह संरक्षक पंजीयक या किसी आवासी न्यायाधीश द्वारा माँगे जानेपर किसी बादकी तारीखमें यह प्रार्थनापत्र देगा;
(ख) जब कोई प्रार्थनापत्र, जो इस खण्डके अन्तर्गत एक एशियाई बच्चेके संरक्षक द्वारा दिया जाना चाहिए, नहीं दिया जाता है, या जब ऐसा प्रार्थनापत्र अस्वीकार कर दिया जाता है तब पंजीयनका प्रार्थनापत्र ऐसे एशियाई बच्चेको सोलह वर्ष की आयु होनेके बाद एक मासके भीतर अपने निवासके जिलेमें आवासी न्यायाधीशके कार्यालयमें देना चाहिए।

वह आवासी न्यायाधीश, जिसके कार्यालयमें इस खण्डके अन्तर्गत कोई प्रार्थनापत्र दिया जाता है, उस प्रार्थनापत्रके कागजात और उससे सम्बन्धित सब दस्तावेज पंजीयकको भिजवा देगा, जो उसके नियमानुकूल होनेके सम्बन्ध सन्तोष कर लेनेपर प्रार्थीका पंजीयन कर देगा, और उसको या उसके संरक्षकको पंजीयन प्रमाणपत्र जारी करा देगा।