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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/५१६

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय
(१) इस अधिनियमके अन्तर्गत रखी जानेवाली पंजिकाका रूप निर्देश करनेके लिए;
(२) पंजीयनके लिए जो प्रार्थनापत्र दिया जायेगा, उसकी विधि और उसका रूप और किसी प्रार्थी या प्रार्थीके संरक्षक द्वारा ऐसे प्रार्थनापत्रके उद्देश्यसे या उसके सम्बन्धमें जो विवरण या शिनाख्त के निशान दिये जायेंगे उनका निश्चय करनेके लिए;
(३) पंजीयन प्रमाणपत्रका रूप निर्देश करनेके लिए;
(४) यह निर्धारित करनेके लिए कि निम्न व्यक्तियों द्वारा अपने विवरण और शिनाख्तके चिह्न कैसे दिये जायेंगे;
(क) इस अधिनियमके खण्ड छः के अन्तर्गत आठ वर्षसे कम आयुके एशियाई बच्चेके संरक्षक द्वारा;
(ख) इस अधिनियम के खण्ड नौमें उल्लिखित माँगपर किसी एशियाई द्वारा;
(ग) किसी एशियाई द्वारा जिसने अपने खोये हुए या नष्ट हुए पंजीयन प्रमाणपत्रको नया करनेके लिए प्रार्थनापत्र दिया हो;
(घ) किसी एशियाई द्वारा जिसने व्यापारिक परवाने के लिए प्रार्थनापत्र दिया हो;
(५) इस अधिनियमके खण्ड सन्ग्रहके अन्तर्गत दिये जानेवाले परवानेका रूप निश्चित करनेके लिए।
सामान्य दण्ड
१९. कोई भी एशियाई या किसी एशियाईका संरक्षक, जो इस अधिनियमकी किसी शर्तको पूरा करने में असमर्थ रहा हो, जहाँ अन्य विधान है उसके परे, अपराधी सिद्ध होनेपर अधिकतम सौ पौंड जुर्मानेके या जुर्माना न देनेपर अधिकतम तीन मासके सादे या सपरिश्रम कारावास के दण्डका पात्र होगा।
कुछ सेवा सम्बन्धी शर्तनामोंके अन्तर्गत आये हुए एशियाइयोंके सम्बन्ध में व्यवस्था
२०. सन् १९०४ के श्रम-आयात अध्यादेशमें जो बात दी गई हैं, उनके बावजूद ऐसे किसी भी एशियाईको, जिसके पास वैध पंजीयन प्रमाणपत्र है और जो इस उपनिवेशका वैध अधिवासी है एवं जिसे उक्त अध्यादेशकी तारीखसे पहले उचित परवानेके अनुसार प्रवेशकी अनुमति दी गई है, इसलिए उपनिवेशमें प्रवेश करने या रहने या उसमें लाये जानेसे न रोका जायेगा कि, वह सेवा सम्बन्धी शर्तनामेके अन्तर्गत वहाँ है और उसने उक्त अध्यादेशके खण्ड आठमें उल्लिखित शर्तनामा नहीं किया है।
अचल सम्पत्तिके स्वामित्वके सम्बन्ध में व्यवस्था

२१. संसदके १२ अगस्त १८८६ के प्रस्तावकी धारा १४१९ द्वारा संशोधित रूपमें १८८५के कानून ३ की

धारा दोके (ख) उपखण्डमें दी गई किसी भी बातके बावजूद, इस उपनिवेशमें किसी एशियाईने उस कानूनके लागू होनेसे पहले जो भी अचल सम्पत्ति ले ली है और जिसका पंजीयन उस कानूनके लागू होने के पहले या पीछे उस एशियाईके नाम हो चुका है, वह सम्पत्ति उस एशियाई द्वारा दूसरे एशियाईको वसीयतनामेसे या अन्य उत्तराधिकारके रूपमें हस्तान्तरित की जा सकती है।
नाम और लागू होनेकी तारीख
२२. यह अधिनियम सब प्रयोजनोंके लिए एशियाई कानून संशोधन अधिनियम १९०७ कहा जा सकता है और यह तबतक लागू न होगा जबतक गवर्नर 'गज़ट' में यह घोषणा न करें कि महामहिम सम्राट इसको अस्वीकृत करना नहीं चाहते; और उसके बाद यह उस तारीखको जिसको गवर्नर घोषणा द्वारा सूचित करेंगे, लागू हो जायेगा।