पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/५१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४८३
परिशिष्ट

शान्ति-रक्षा अध्यादेश

उक्त अधिनियम में १९०३ के शान्ति-रक्षा अध्यादेश संख्या ५ के जिन खण्डोंका उल्लेख है वे निम्न हैं:

गिरफ्तार लोगोंपर न्यायाधीशके सम्मुख मुकदमा
६. प्रत्येक व्यक्ति, जो इस प्रकार गिरफ्तार किया जायेगा, जितनी जल्दी हो सके, एक न्यायाधीशके सम्मुख पेश किया जायेगा और यदि वह न्यायाधीशको सन्तोष न दिला सकेगा कि इस अध्यादेशकी धाराओंके अन्तर्गत उसको इस उपनिवेश में प्रवेश करने और रहनेका उचित अधिकार है, तो न्यायाधीश उसको लिखित आशा देकर उतने समय में, जिसका उल्लेख उस आशामें होगा, उपनिवेशसे चले जानेका आदेश दे सकता है। यह व्यवस्था की जाती है कि यदि ऐसा व्यक्ति परवाना ले चुकनेकी शपयपूर्वक घोषणा करता है और उसको पेश करने में असमर्थताका सन्तोषजनक कारण देता है; या वह शपथपूर्वक यह कहता है कि वह सन्तोषजनक प्रमाण दे सकता हैं कि वह उन वर्गोंका है जो इस कानूनके खण्ड दोकी व्यवस्थाके द्वारा परवाना लेनेकी शर्तसे मुक्त हैं, तो वह जमानती या गैरजमानती मुचलका देनेके बाद छोड़ा जा सकता है वह किसी भी न्यायाधीश के सामने, जिसका उल्लेख मुचलके में किया गया हो, और उसमें बताये गये समयम, ऐसा परवाना या सबूत, जो भी हो, पेश करेगा। यदि वह व्यक्ति अपने मुचलकेकी शर्तोंको पूरा करनेमें असमर्थ रहेगा तो उसका मुचलका जप्त कर लिया जायेगा।
उपनिवेशसे जानेकी आज्ञाका पालन न करनेपर दण्ड
७. उस व्यक्तिको, जिसे उपनिवेशसे जानेकी आज्ञा दी जाये, और जो आज्ञापत्र में दिये गये समयके भीतर न जाये और उस व्यक्तिको, जिसका मुचलका पिछले खण्डकी व्यवस्थाके अनुसार जप्त कर लिया गया हो, बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है और न्यायाधीश के सामने पेश किया जा सकता है; एवं उसका अपराध सिद्ध होनेपर कमसे-कम एक मासकी और अधिक से अधिक छः मासकी सादी या सख्त फैदकी सजा जुर्मानेके बिना या जुर्मानेके साथ, जो ५०० पौंडसे अधिक न होगा, दी जा सकती है; एवं जुर्माना न देनेपर अधिकसे-अधिक छ: महीनेकी अतिरिक्त कैद की सजा दी जा सकती है।
उपनिवेशमें रहनेपर अतिरिक्त दण्ड
८. यदि कोई व्यक्ति, जो पिछले खण्डके अन्तर्गत कैदकी सजा पाता है, अपनी कैदकी या उसके बाद इस खण्डके अन्तर्गत दी गई कैदकी मियाद पूरी होनेके बाद उपनिवेश-सचिवसे उपनिवेश में रहनेकी लिखित अनुमति प्राप्त किये बिना सात दिनसे अधिक समय तक रहता है और लिखित इजाजत प्राप्त कर ली है, यह सिद्ध करनेका भार उसपर ही होगा—उसको बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है और न्यायाधीशके सामने पेश किया जा सकता है; एवं अपराध सिद्ध होनेपर उसको कमसे-कम छ: मासकी और अधिकसे-अधिक बारह मासकी केंद, जुर्मानेके बिना या जुर्मानेके साथ, जो पाँच सौ पौंडसे अधिक न होगा, दी जा सकती है; एवं जुर्माना न देनेपर अधिकसे-अधिक छः महीनेकी अतिरिक्त कैद की सजा दी जा सकती है।
जाली परवाने
९ कोई व्यक्ति जो
(१) किसी धोखाधड़ी, गलतबयानी, झूठे बहाने, झूठ, या किसी दूसरे अनुचित साधनसे, परवाना प्राप्त करता है, प्राप्त करनेका प्रयत्न करता है या किसी व्यक्तिको उसे प्राप्त करनेके लिए उत्तेजित करता है, या प्राप्त करने में सहायता या सहमति देता है;
(२) ऐसे प्राप्त किये गये किसी परवानेका प्रयोग करता या प्रयोग करनेका प्रयत्न करता है, या किसी व्यक्तिको प्रयोग करनेके लिए उत्तेजित करता है या प्रयोग करने में सहायता या सहमति देता है।
(३) ऐसे प्राप्त किये गये परवानेसे या उचित अधिकारी द्वारा न दिये गये परवानेसे इस उपनिवेशमें प्रवेश करता या प्रवेश करनेका प्रयत्न करता है उसको जुर्मानेकी, जो पाँच सौ पौंडसे अधिक न होगा