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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/५२०

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परिशिष्ट ३
ट्रान्सवाल प्रवासी-प्रतिबन्धक विधेयक

नीचे एक विधेयकका मसविदा दिया जाता है जो ट्रान्सवालके 'गवर्नमेंट गज़ट' में प्रकाशित किया गया है। यह इस उपनिवेश में प्रवासपर प्रतिबन्ध लगाने; इससे निषिद्ध प्रवासियोंको और अन्य लोगोंको निकालनेकी व्यवस्था करने और एक एशियाई विभाग स्थापित करने और चलानेके लिए" है।

महामहिम सम्राट् द्वारा और ट्रान्सवालकी विधान परिषद और विधान सभाकी सलाह और अनुमतिसे निम्न विधान बनाया जाता है:

१. १९०३ का शान्ति-रक्षा अध्यादेश इसके द्वारा रद किया जायेगा और रद किया जाता है; शर्त यह है कि इस कार्रवाईसे १९०७ के एशियाई कानूनकी कोई सत्ता या कानूनी अधिकार क्षेत्र, जो उस कानूनको अमल में लानेके उद्देश्यसे दिया गया हो, प्रभावित या कम न होगा।

२. इस अधिनियममें या इसके अन्तर्गत बनाये गये किसी विनियममें, जबतक संदर्भसे असंगत न हो,

"विभाग" का अर्थ होगा इस अधिनियम की धाराओंके अन्तर्गत स्थापित और कायम प्रवासी विभाग;
"गवर्नर" का अर्थ होगा वह व्यक्ति जो उस समय इस उपनिवेशका शासन चला रहा हो और कार्यकारिणी परिषदकी सलाहसे कार्य कर रहा हो;
"कैद" का अर्थ होगा कड़ी या सादी कैद जो अपराधीको कैद की सजा देनेवाले न्यायालय द्वारा दी जाये;
"न्यायाधीश" शब्दमें उपनिवेश के किसी भी जिलेका आवासी न्यायाधीश और सहायक आवासी न्यायाधीश भी सम्मिलित होगा;
"मन्त्री" का अर्थ होगा उपनिवेश-सचिव या ऐसा कोई अन्य मन्त्री जिसे गवर्नर समय-समय पर इस अधिनियमपर अमल करानेका काम सौंपे;
"अवयस्क" का अर्थ होगा सोलह वर्षसे कम आयुका कोई व्यक्ति;
"पुलिस अधिकारी" का अर्थ होगा उपनिवेशमें वैध रूपसे स्थापित पुलिस दलका कोई भी सदस्य;

"निषिद्ध प्रवासी" का अर्थ होगा और उसके अन्तर्गत सम्मिलित होगा, निम्न वर्गोंका ऐसा कोई भी व्यक्ति जो इस अधिनियमके लागू होनेकी तारीखके बाद उपनिवेश में प्रवेश करना चाहता हो, या प्रवेश कर रहा हो:
१. कोई भी व्यक्ति जो उचित रूपसे अधिकृत अधिकारी द्वारा इस उपनिवेशमें भी इसके बाहर निर्देश देनेपर अपर्याप्त शिक्षाके कारण इस उपनिवेश में प्रवेशकी अनुमति के लिए किसी यूरोपीय भाषा में आवेदनपत्र या कोई अन्य कागज, जिसे उक्त अधिकारी लिखाना चाहे, न लिख सके या उसपर हस्ताक्षर न कर सके; विधान किया जाता है कि इस उपखण्डके प्रयोजनोंसे यीडिश यूरोपीय भाषा मानी जायेगी, यह भी विधान किया जाता है कि,
(क) यदि मन्त्री 'गज़ट'में यह नोटिस प्रकाशित करे कि किसी देशकी सरकारसे उसके प्रजाजनों या नागरिकोंके इस उपनिवेशमें प्रवेशको नियमित करनेके सम्बन्ध में व्यवस्था की जा चुकी है, तो उन प्रजाजनों या नागरिकोंको जबतक वह नोटिस जारी रहे तबतक इस उपखण्डकी धाराओंका पालन करने की आवश्यकता न होगी;
(ख) मन्त्री ऐसा नोटिस तबतक न निकालेगा जबतक ऐसी व्यवस्था संसदके दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत न कर ली जाये;
(ग) ऐसा नोटिस तभी अमलके बाहर हो जायेगा जब मन्त्री 'गज़ट' में दूसरा नोटिस निकाल कर उसे रद कर दे;