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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/५२५

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४९१
परिशिष्ट
"वैध पत्र-धारक" शब्द यदि किसी पंजीयन प्रमाणपत्रके सम्बन्ध में प्रयुक्त हो तो इसका अर्थ होगा वह व्यक्ति जिसका पंजीयन उस प्रमाणपत्रके द्वारा प्रमाणित किया गया है;
"अवयस्क" का अर्थ होगा ८ सालसे अधिक और १६ सालसे कम आयुका एशियाई पुरुष;
"पुलिस दल" का अर्थ होगा इस उपनिवेश में कानून द्वारा स्थापित पुलिस दल;
"पुलिस अधिकारी" का अर्थ होगा पुलिस दलका कोई सदस्य,
"पंजीयक" का अर्थ होगा वह अधिकारी जो गवर्नर द्वारा एशियाइयोंकी पंजिका रखने के लिए नियुक्त किया गया हो; और उस हैसियतसे वैधरूपमें कार्य करनेवाला कोई भी व्यक्ति;
"आवासी न्यायाधीश" शब्दके अन्तर्गत सहायक आवासी न्यायाधीशका समावेश होगा।
२. एशियाई पंजीयनका फार्म वह होगा जो इसकी अनुसूची 'क' में दिया गया है।
३. पंजीयन प्रार्थनापत्रका फार्म निम्न प्रकार होगा;
(अ) वयस्क प्रार्थीके लिए इसकी अनुसूची 'ख' में दिया गया फार्म;
(आ) अवयस्क प्रार्थीके लिए इसकी अनुसूची 'ग' में दिया गया फार्म;
४. (क) प्रत्येक वयस्क, जो अपनी ओरसे पंजीयनका प्रार्थनापत्र देगा, उस व्यक्तिके सम्मुख प्रस्तुत होगा, जिसे उपनिवेश-सचिव 'गजट' में सूचना निकालकर उस क्षेत्रके लिए नियुक्त करे, जिसमें वह प्रार्थी रहता है; और वह उक्त व्यक्तिको वे सारे विवरण देगा जो इसकी अनुसूची 'ख' में दिये गये फार्म के द्वारा आवश्यक बताये गये हैं, और उक्त व्यक्ति के सामने ये चीजें पेश करेगा और उसके सुपुर्द करेगा:
१. कोई भी परवाना जो उसकी क्षतिपूर्ति और शान्ति-रक्षा अध्यादेश (१९०२), या उसके संशोधनके विधानके अन्तर्गत ट्रान्सवालमें प्रवेश करने और रहनेके लिए दिया गया हो;
२. कोई पंजीयन प्रमाणपत्र या १८८५ के कानून ३ की, जिसका संशोधन बाद में हुआ, धाराओं के अन्तर्गत पंजीयन के लिए निर्धारित शुल्कके भुगतानफी रसीदें;
३. उसके पास मौजूद कोई अन्य कागजात जिन्हें वह अपने पंजीयन प्रार्थनापत्र के समर्थनमें प्रस्तुत करना चाहे।
(ख) प्रत्येक संरक्षक, जो एक अवयस्ककी ओरसे पंजीयनका प्रार्थनापत्र दे रहा हो, उस अवयस्कको लेकर पूर्वोक्त व्यक्तिके सम्मुख पेश होगा और उस व्यक्तिको अपने सम्बन्ध में और उस अवयस्कके सम्बन्ध में इसकी अनुसूची (ग) में बताये गये फार्ममें निर्दिष्ट आवश्यक विवरण देगा और उस व्यक्तिको उस अवयस्क के सम्बन्ध में इससे पहले उपखण्डमें बताये गये कागजात देगा।
(ग) पंजीयनका प्रत्येक प्रार्थनापत्र उस स्थानमें और उस तारीखसे पहले दिया जायगा जिसको उपनिवेशसचिव 'गजट' में सूचना निकाल कर निर्धारित करेगा;
(घ) प्रत्येक व्यक्ति, जो प्रार्थनापत्र लेनेके लिए पहले कहे अनुसार नियुक्त किया जायेगा, किसी प्रार्थकि सम्बन्ध में प्रार्थनापत्रका फार्म पूरा होते ही, प्रार्थीको या उसके संरक्षकको अपने हस्ताक्षरोंसे पंजीयन प्रार्थनापत्र और उसके समर्थनमें पेश किये गये कागजातकी प्राप्तिकी लिखित स्वीकृति देगा। प्राप्तिकी स्वीकृति इसकी अनुसूची 'घ' में दिये गये फार्ममें दो प्रतियोंमें होगी और उसकी दूसरी प्रति तुरन्त उस व्यक्ति द्वारा प्रार्थनापत्र और उसके समर्थन में प्रस्तुत किये गये कागजातके साथ पंजीयकको भेज दी जायेगी।

५. यदि पंजीयक अधिनियमके खण्ड ५ के उपखण्ड (२) के अनुसार कार्रवाई करते हुए किसी वयस्कका पंजीयन करना अस्वीकार करता है तो अस्वीकृतिकी सूचना उसी उपखण्डके अनुसार भेजी जायेगी और उसकी प्रतिलिपि आवासी न्यायाधीशको उसके कार्यालयके मुख्य द्वारपर चिपकानेके लिए भेजी जायेगी, यह सूचना अनुसूची 'ङ' में दिये गये रूपमें होगी।

६. पंजीयन प्रमाणपत्र इसकी अनुसूची "च" में दिये गये रूपमें होगी।