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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

दूसरी पैरवीकी जरूरत ही नहीं रहती। मैं नहीं समझता था कि भारतीय इतनी हिम्मत करेंगे, और अपनी कौम और आत्मसम्मानके लिए इतना जोश रखेंगे। आप लोग यदि एकतापूर्वक जेलके प्रस्तावपर डटे रहे तो मैं आपकी यथासम्भव मदद करूँगा। इतना ही नहीं, विलायतमें सारा उदार दल आपके साथ होगा और नया कानून रद होकर रहेगा। उन्होंने महान अंग्रेजी लेखक स्वर्गीय बर्कका उदाहरण दिया। बर्कका कहना था कि हजारों लोगोंको फाँसी नहीं लगाई जा सकती, न उन्हें जेलमें ही बन्द किया जा सकता।

एक गोरा व्यापारी क्या कहता है?

एक गोरा व्यापारी सयानेपनका उपदेश देने लगा कि भारतीय समाजको कानूनकी शरण जाना चाहिए। उससे पूछा गया कि उसके पूर्वजोंने लड़ाई लड़ी जिससे अब वह अमन-चैनसे रहता है, तो इससे उसका क्या यह खयाल है कि दूसरे सभी अमन-चैनसे रहते हैं। इसका जवाब वह नहीं दे सका। आखिर मैंने उससे उसके एक बड़े ग्राहकके सामने पूछा, "यदि आपका ग्राहक अपना सब-कुछ छोड़कर कौमके लिए जेल चला जाये, तो वापस आनेपर क्या आपकी नजरमें उसकी प्रतिष्ठा नहीं बढ़ेगी? आप उसे ज्यादा खुले हाथों मदद नहीं करेंगे? इसके जवाबमें उसने कहा: "हाँ, यह तो ठीक है। लेकिन क्या आप लोगोंमें इतनी हिम्मत है?" आखिर बात यहाँ आकर रुकती है। बाजारमें अभी भारतीयोंका सिक्का खोटा है, इसलिए उसकी कीमत भी खोटे सिक्के जैसी ही आँकी जाती है।

‘स्टार’ के नाम श्री गांधीका पत्र

जनरल बोथाके लौट आनेसे और इसलिए भी कि विलायतमें समिति अभी कानूनके लिए लड़ रही है, श्री गांधीने ‘स्टार’ के नाम निम्न पत्र लिखा है:

जनरल बोथा यहाँ आ गये है। बड़ी सरकार और स्थानीय सरकारके बीच अभी लिखा-पढ़ी चालू है, इसलिए आपसे तथा आपकी मारफत उपनिवेशवासियोंसे निवेदन करनेका मुझे और भी प्रलोभन होता है। अब “एशियाई विरोधी" लोगोंको उनके मनकी चीज मिल गई, इतनेसे क्या आप सन्तोष नहीं मान सकते? और क्या उस कानुनको दूर नहीं रख सकते जिसके कारण भारतीय लोग अपराधी माने जायेंगे? कानून अभी 'गज़ट' में प्रकाशित नहीं किया गया है और न उसके प्रकाशित किये जानेकी जरूरत ही है। इसलिए मेरा सुझाव है कि भारतीय कौमके साथ सलाह करके नये अनुमतिपत्रका नमूना तैयार किया जाये और जिन लोगोंके पास इस समय अनुमतिपत्र हों उनका उस नमूनेके अनुसार पंजीयन किया जाये। इस प्रकार यदि सभी एशियाई अपने पंजीयनपत्र बदलवा लें तो फिर उसे अनिवार्य करके उनका अपमान करनेकी आवश्यकता नहीं रहती। किन्तु यदि ऐसे स्वेच्छासे पंजीयनपत्र न बदलवानेवाले एशियाई ट्रान्सवालमें निकल आयें तो उनके लिए एक छोटा विधेयक पास करके लागू किया जा सकता है। इस तरीकेसे सच्चे लोग झूठोंसे अपने-आप छंट जायेंगे और सच्चे सजा पानेसे बच जायेंगे।

उपर्युक्त सुझावमें आप गलती निकाल सकें, ऐसा मुझे तो नहीं लगता। किन्तु यदि आप गलती निकालें तो इसका अर्थ यह होगा कि कानूनका उद्देश्य आपसमें

[१] देखिए “पत्र:‘स्टार’को", खण्ड ६, पृष्ठ ५१४-१५।

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