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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/६१

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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सकते। इस प्रदर्शनीमें कुत्तोंको जानेकी छूट है। इतना ही नहीं, अच्छे कुत्तोंको इनाम भी दिया जाता है। ऐसे कुत्तोंके मुकाबले स्वतन्त्र भारतीय इस गोरी समितिकी नजरोंमें गयेबीते हैं।

अनुमातिपत्र कार्यालय

अनुमतिपत्र कार्यालयके बहिष्कारको बहुत ही उचित साबित करनेवाला एक किस्सा अभी-अभी घटित हुआ मालूम पड़ता है। एक भारतीयको सूचना मिली थी कि उसे अनुमतिपत्र दिया जायेगा। उसे कार्यालयमें जाकर अनुमतिपत्र लेना-भर था। इसपर उसे सलाह दी गई कि नये कानूनकी कोई बात न निकाली जाये तो उसे अनुमतिपत्र ले लेना चाहिए। इससे वह अनुमतिपत्र कार्यालयमें गया। श्री चैमनेने उससे कहा कि तुम नये कानूनको मानोगे, ऐसा वचन दो तभी तुम्हें अनुमतिपत्र दिया जा सकेगा। इसपर उस तीयने वचन देनेसे इनकार कर दिया और बिना अनुमतिपत्र लिये चला आया। अत: प्रत्येक भारतीयको समझना चाहिए कि अनुमतिपत्र-कार्यालय भारतीयोंके लिए एक फन्दा है।

भारतीय व्यापारी क्या कर सकते हैं?

बहुतेरे भारतीय व्यापारियोंका कहना है कि डच लोग हमारे विरुद्ध नहीं हैं। यह दिखानेके लिए वे सरकारको अर्जी देनेको तैयार हैं। यदि यह बात सच हो तो हर भारतीयको उस अर्जीपर [डचोंको सही करवानी चाहिए। उस सम्बन्धमें शोर मचानेकी आवश्यकता नहीं। यदि व्यापारी ऐसा करें तो उन्हें अर्जीका फार्म भेजा जायेगा। जो ऐसा कर सकें वे संघको लिखकर सूचित कर दें।

फेरीवालोंका कानून

फेरीवालोंका कानून सरकारने [नगर-परिषदको] लौटा दिया है। उसमें परवाना ५ पौंडका है। उसे सरकारने ३ पौंडका करने के लिए लिखा है। परिषदकी समितिने फिर सूचित किया है कि वैसा करनेसे पैसेका नुकसान होगा, इसलिए ५ पौंडकी दर कायम रहनी चाहिए।

अनुमतिपत्रका मुकदमा

अभी अनुमतिपत्रके मुकदमे चलते रहते हैं। दो धोबियोंपर झूठे अनुमतिपत्र इस्तेमाल करने और बिना अनुमतिपत्रके रहनेका अभियोग था। उन्होंने बचावमें कहा कि उन्हें एक भारतीय अनमतिपत्रके लिए यह कहकर ले गया था कि अनुमतिपत्र-अधिकारी जोहानिसबर्ग आता है और अनुमतिपत्र देता है। उनसे ३० पौंड प्रति व्यक्ति माँगा गया। धोबियोंने देना स्वीकार किया। वे भारतीयके घर गये। वहाँ चेहरेपर नकाब डाले हुए एक गोरेको देखा। गोरेने अनुमतिपत्र दिया। उन्होंने ३० पौंड दिये। वे झूठे अनुमतिपत्रके अभियोगसे बरी हो गये। क्योंकि उन्हें मालूम नहीं था कि गोरेने जो अनुमतिपत्र दिये है वे झूठे हैं। किन्तु बिना अनुमतिपत्रके रहने के अपराधमें उन्हें सात दिनमें ट्रान्सवाल छोड़नेका हुक्म दिया गया। यह गोरा अधिकारी कौन है, यह जानने जैसी बात है। ऐसी अफवाहें बहुत है।

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