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२५. रोडेशिया और ट्रान्सवाल

रोडेशिया विधानसभामें चर्चा शुरू हुई है कि जब ट्रान्सवालमें एशियाइयोंके लिए कानून बन गया है तब यहाँ भी बनाया जाना चाहिए तथा भारतीयोंको आनेसे रोकना और उनका पंजीयन करना चाहिए। सभी सदस्य इस सम्बन्धमें जोरोंसे बोले थे। वे सारी बातें हमने ब्योरेके साथ अंग्रेजी विभागमें दी हैं। उनसे हमें यही देखना है कि यदि ट्रान्सवालका कानून कायम रह गया और भारतीय समाज उसके सामने झुक गया तो हर जगह वैसा ही कानून बनाया जायेगा। रोडेशियाके भारतीयोंको केवल इसी तरह मदद दी जा सकती है कि ट्रान्सवालके भारतीय पीछे पैर न रखें।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १५-६-१९०७

२६. गिरमिटिया भारतीय मजदूर

थॉर्नविल जंक्शनमें एक गोरेने एक भारतीय गिरमिटियेको बुरी तरह पीटा और वह भारतीय मर गया। गोरेपर मुकदमा चलाया गया, जिसमें उसे १० पौंड जुर्माना हुआ। इसका पूरा विवरण हम अन्यत्र दे रहे हैं। यह मामला रोंगटे खड़े कर देनेवाला है। भारतीय मर गया और गोरा दस पौंड देकर छूट गया, इसे सन्तोषजनक नहीं माना जा सकता। फिर भी हमें बदला लेनेके सम्बन्धमें नहीं सोचना है। गोरेको जगतकर्ताके समक्ष खड़ा होना पड़ेगा। उसे कठोर दण्ड दिया जाता तो न उससे भारतीयकी जान वापस आती और न दूसरे गिरमिटिये ही वैसे व्यवहारसे बच पाते।

रोग दूर करनेके लिए उसका कारण ढूँढ़ना चाहिए। उसी प्रकार इस स्थितिका कारण खोजेंगे तो पता चलेगा कि गिरमिटकी प्रणाली ही बुराईकी जड़ है। यदि गिरमिटकी प्रणाली ही समाप्त हो जाये तो उपयुक्त अत्याचार भी समाप्त हो सकता है। क्योंकि स्वतन्त्र नौकरीमें मनुष्य गिरमिटियाके समान बँध नहीं जाता। उसे पूरा न पड़े तो वह अलग हो सकता है।

श्री रॉबिन्सनने अपने भाषणमें कहा है कि गिरमिट द्वारा भारतीयोंका आना बन्द होना चाहिए। हम भी ऐसा ही मानते हैं। और इसके लिए कांग्रेसको कारगर उपाय काममें लाना चाहिए। गिरमिट बन्द करनेके हमारे और श्री रॉबिन्सनके कारण अलग-अलग हैं, किन्तु इसमें कुछ हर्ज नहीं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १५-६-१९०७