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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि हम ईसाई हो जायें। मुझे विश्वास है कि हम ऐसी सलाहको मान्य नहीं करेंगे, और इसमें हर हिन्दू और मुसलमान मुझसे सहमत होगा। यह कानून भी लगभग उसी तरहका है। यह हमें नामर्द बनाता है, यह स्पष्ट है, और नामर्द बननेकी सलाहको हम कभी नहीं मान सकते। हम सच्चे हैं और खुदा हमारे पक्षमें है इतना का को है। अन्तमें सत्यकी ही विजय होगी।

जिन्हें सूचनापत्र मिल चुके हैं वे क्या करें?

नेटालसे एक भाई पूछते हैं कि उन्हें ट्रान्सवाल जानेका आदेश मिला है। उन्हें जाना चाहिए या नहीं? इतना तो सब जानते होंगे कि यह आदेश अनुमतिपत्र नहीं है। इस आदेशके आधारपर अभी ट्रान्सवाल जाना बेकार है। कौमके निर्णयके अनुसार अनुमतिपत्र-कार्यालयसे व्यवहार मात्र बन्द है। इसलिए वह आदेश किसी कामका नहीं है। जिनके पास पुराने अनुमतिपत्र न हों, उनके लिए जरूरी है कि वे ट्रान्सवालमें पैर न रखें।

अनुमतिपत्र खो गया हो तो क्या करें?

जिनके अनुमतिपत्र खो गये हों उन्हें पुराने कानूनके अनुसार प्रतिलिपि नहीं दी जाया करती थी। नये कानूनमें प्रतिलिपि देनेकी व्यवस्था है, किन्तु वह नये अनुमतिपत्रकी प्रतिलिपि होगी। जिसका अनुमतिपत्र खो गया हो उसे कुछ भी कार्रवाई नहीं करनी है। उसे दूसरे अनुमतिपत्रवालोंके समान निर्भय होकर बैठना चाहिए।

जिसका अनुमतिपत्र खो गया हो वह प्रवेश कर सकता है?

एक व्यक्तिका अनुमतिपत्र खो गया। उसे अनुमतिपत्र-कार्यालयकी ओरसे प्रमाणपत्र मिला हआ है। क्या वह भारतसे लौटनेपर वापस प्रवेश कर सकता है? उत्तर: वह व्यक्ति अनुमतिपत्रवालोंके समान प्रवेश कर सकता है। किन्तु आखिर जेल जाना है, इस बातको याद रखें। जिसे जेलसे डर लगता हो उसके पास अनुमतिपत्र हो या न हो, उसे फिलहाल ट्रान्सवालमें प्रवेश नहीं करना चाहिए।

परवानेके लिए श्री चैमनेके हस्ताक्षर?

एक व्यक्तिने बॉक्सबर्गमें परवाना माँगा। उसे परवाना-अधिकारीने श्री चैमनके हस्ताक्षर लानेको कहा। अधिकारीने ऐसा कहा हो तो उसे गैरकानूनी समझा जाये। नया कानून जबतक लागू नहीं होता तबतक अनुमतिपत्र बतलाना भी अनिवार्य नहीं है, तब श्री चैमनेकी अनुमतिकी तो बात ही कौन-सी?

परवानके सम्बन्धमें जवाब देते हुए मुझे यह भी बतला देना चाहिए कि एक संवाददाता लिखता है कि कोई-कोई बिना परवानेके व्यापार करते हैं। परवाना किसीके नामका और व्यापार किसी औरका, वगैरह। संवाददाताने ऐसे लोगोंके नाम भी भेजे हैं। सचझूठकी मैं जाँच नहीं कर पाया। किन्तु ऐसे लोगोंको बहुत ही सावधान रहना चाहिए। यदि संवाददाताकी दी हुई खबर सही हो तो मैं ऐसे लोगोंको सलाह देता है कि वे यह समझकर अपनी बुरी आदत सुधार लें कि कुछ भारतीयोंके गलत कामोंके कारण सारे भारतीयोंको दुःख भोगना पड़ता है, और ऐसा आचरण करनेवाले व्यक्तिको भी देर-अबेर सजा भोगनी ही पड़ती है।