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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/७३

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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

चीनियोंकी एकता

चीनियोंने नये कानूनके सामने न झुकनेका निर्णय किया है। इस सम्बन्धमें लिख चुका हूँ। वैसा निर्णय करके वे बैठे न रहें इसलिए उन्होंने एक प्रतिज्ञापत्रपर हस्ताक्षर किये हैं कि इस प्रतिज्ञापत्रपर हस्ताक्षर करनेवाला नया अनुमतिपत्र नहीं लेगा, जेल जायेगा और जो कोई नया अनुमतिपत्र लेगा उससे भोजन-पानीका व्यवहार नहीं रखेगा। इस प्रतिज्ञापत्रपर लगभग नौ सौ चीनियोंने हस्ताक्षर कर दिये हैं, सिर्फ एक सौ हस्ताक्षर लेने बाकी हैं। वह काम भी जोरोंसे चलता दिखाई दे रहा है।

एक सुझाव

इस प्रस्तावके सम्बन्धमें कि दूकानको चालू रखने के लिए दरखास्त देनेके अन्तिम दिन, या जेलसे छूटने के बाद प्रत्येक दूकानसे एक व्यक्ति अनुमतिपत्र ले सकता है, दूकानदारोंको सुझाव दिया गया है कि इस प्रकार जो अपना व्यापार चालू रखना चाहते हैं वे अपनी कमाई में से सारा खर्च निकालकर जो बचत हो उसे कानून-निधिमें डाल दें। यदि दुकानदार उक्त सुझावको स्वीकार करते हैं तो उनका यह कार्य अत्यन्त देशभक्तिपूर्ण होगा।

एक हजूरियेपर मुकदमा

एक भारतीय हजूरियेपर पंजीयन-कार्यालयके मुख्य कारकुनको रिश्वतमें ५० पौंड देनेके अपराधमें प्रिटोरिया में मुकदमा चलाया जा रहा है। एक भाई टीका करते हुए पूछते हैं कि क्या इस तरह रिश्वत देनेवाले आज ही तैयार हुए हैं? इतने दिन तक किसीने रिश्वत देनेका प्रयत्न नहीं किया? यदि प्रयत्न किया गया हो तो उनपर मुकदमा क्यों नहीं चलाया गया?

जोहानिसबर्गके निवासियोंको चेतावनी

पुलिस कमिश्नरने सूचना निकाली है कि आजकल बत्ती-निरीक्षक बनकर बहुतेरे ठग घरमें घुसनेका प्रयत्न करते हैं। यदि वे नगरपालिकाका पास न दिखायें तो उन्हें कोई अपने घरोंमें न आने दे।

फेरीवालोंका कानून

फेरीवालोंके कानूनके विषयमें अब भी विवाद जारी है। 'स्टार' में एक महाशय लिखते है कि फेरीवालोंसे हर नगरपालिकाकी हदमें परवाना मांगा जाये और हदके बाहर भी माँगा जाये। इससे हर फेरीवालेको हर वर्ष ८० पौंड तक देने होंगे। इस तरह जुल्म किया जानेपर फेरीवाले मर जायेंगे और लोगोंको फेरीवालोंसे जो सुविधा मिल सकती थी वह, दूकानदारोंके लाभके लिए, नहीं मिलेगी। इससे कोई यह न समझ ले कि यह लेखक भारतीयोंका पक्ष ले रहा है। भारतीयोंके अलावा और भी फेरीवाले हैं। किन्तु ये नियम सबपर लागू होते हैं, इसलिए इसमें भारतीयोंका बचाव अपने-आप हो जाता है।

[] चीनी संघने बादको लंदन-स्थित चीनी राजदूतके पास एक याचिका भेजी थी जिसमें अधिनियमके खिलाफ आपति की गई थी। देखिए परिशिष्ट २।

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