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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/७४

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सारांश यह है कि जो नियम विशेषकर भारतीयोंके लिए बनाये जायें उन्हें उनका विरोध करना चाहिए।

शिक्षाका कानून

इस महीने में फिर संसदकी बैठक होगी। उसमें नई सरकार शिक्षा-विषयक विधेयक पेश करनेवाली है। उस विधेयकमें एक धारा यह है कि गोरे लड़कोंकी पाठशालामें काले लड़के नहीं जा सकेंगे। यानी यदि कोई निजी शाला शुरू करके उसमें गोरे और काले लड़कोंको एक साथ पढ़ाना चाहे तो नहीं पढ़ा सकता। काले लड़कोंके लिए सरकारकी इच्छा होगी तो अलगसे शाला शुरू करेगी। यह एक नया ही खेल है। नया कानून स्वीकार करनेके को क्या मिलनेवाला है, यह हमें शिक्षा विधेयकसे मालूम हो जाता है।

मलायी बस्ती

मलायी बस्तीकी गन्दगीके सम्बन्धमें 'स्टार' में एक भाईने लिखा है। उससे मालूम होता है कि उसमें भारतीयोंका नहीं, बल्कि नगरपालिकाका दोष है। क्योंकि, नगरपालिका न गन्दा पानी उठवाती है और न पीनेके पानीके नल लगवाती है। इसके उत्तर में नगरपालिकाने लिखा है कि गन्दा पानी उठाया जाता है और बहुत जगहोंपर पानीके नल भी हैं। लोग पैसा खर्च करें तो दूसरी जगह भी दिये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त नगरपालिकाके अधिकारीका कहना है कि यह नहीं कहा जा सकता कि मलायी बस्तीके निवासी गन्दे नहीं हैं। कुछ लोगोंपर गन्दगीके लिए मुकदमा भी चलाया जा चुका है। मुझे भी स्वीकार करना चाहिए कि गन्दगीके आरोपसे हम इनकार नहीं कर सकते। बहतेरे घरोंमें कूड़ा रहता है, खिड़कियाँ गन्दी रहती हैं, बाड़ा गन्दा रहता है, पाखानेकी स्थिति बड़ी भयानक होती है और रसोई-घर बहुत ही खराब होता है। मैं यह सब पाप मानता हूँ। उसके लिए हमें बहुत सजा भोगनी पड़ती है और आगे भी भोगनी पड़ेगी। लोग सुघरता, खुली हवा और प्रकाशका मूल्य समझने लगें तो हमें बहुत लाभ हो सकता है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १५-६-१९०७