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२९. पत्र: उपनिवेश सचिवको

[जोहानिसबर्ग]
जून १८, १९०७

माननीय उपनिवेश सचिव

प्रिटोरिया

महोदय,

परममाननीय प्रधान मन्त्रीके कार्यवाहक सचिवने मुझे सूचना दी है कि मेरा इस माहको १२ तारीखका पत्र, जो एशियाई पंजीयन अधिनियमके बारेमें है, आपके विभागको भेज दिया गया है।

मेरा संघ इस बातकी उम्मीद करता है कि इस पत्रमें जिस मसलेका जिक्र है उसपर आप अनुकूलतापूर्वक विचार करेंगे।

आपका, आदि,
ईसप इस्माइल मियाँ
कार्यवाहक अध्यक्ष,
ब्रिटिश भारतीय संघ

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-६-१९०७

३०. नये कानूनसे सम्बन्धित पुरस्कृत कविता

पुरस्कार प्राप्तकर्ता अम्बाराम मंगलजी ठाकर

नये कानूनके सम्बन्धमें गीत लिखवानेके लिए हमने पुरस्कारकी योजना शुरू की थी। उसकी जो प्रतिक्रिया हुई उसे कुल मिलाकर सन्तोषजनक माना जा सकता है। प्रतियोगितामें शामिल होनेवाले २० व्यक्ति थे। सभी कवियोंने सूचित किया है कि उन्होंने पुरस्कारके लिए नहीं, बल्कि अपना उत्साह दिखाने तथा देशसेवाके लिए ही प्रतिस्पर्धामें भाग लिया है। यह उत्साह और भावना प्रशंसनीय है। किन्तु फिर भी हमें कहना चाहिए कि पुरस्कारके लिए लिखनेमें भी देशाभिमानका समावेश नहीं होता, सो बात नहीं। पुरस्कार लेने में हमें झेंपना नहीं, बल्कि गर्व महसूस करना चाहिए।

बीस प्रतियोगियोंमें कोई तीन व्यक्तियोंके गीत लगभग समान जान पड़े। इसलिए यह समस्या खड़ी हो गई थी कि किसे पहला स्थान दिया जाये। आखिर नेटाल सनातन धर्म

[१] देखिए “ एक पौंडका इनाम", पृष्ठ ५।

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