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स्मपूर्ण गांधी वाङ्मय

सभाके अध्यक्षका गीत लगभग पहले स्थानके योग्य मालूम हुआ; इसलिए हमने उन्हें एक पौंडका पुरस्कार भेज दिया है। श्री अम्बाराम ठाकरको हम बधाई देते हैं और आशा करते हैं कि गीतमें जो उद्देश्य रखा गया है उसके अनुसार स्वयं चलकर वे दूसरोंके सामने आदर्श पेश करेंगे और देशकी सेवा करेंगे। भक्ति में शौर्यका और शौर्य में भक्तिका समावेश हो तभी उन दोनोंकी शोभा बढ़ती है। इसलिए दोनों हथियार पास रखकर हम अपने कर्तव्यका पालन करते रहेंगे तभी प्रत्येक संकटसे गुजरकर अन्तमें विजयी होंगे।

बीस गीतोंके रचयिताओंमें से कुछने अपने नाम हमें भी नहीं बताये। कुछने एकसे ज्यादा गीत भेजे हैं। उनमें से जानने योग्य गीत जिन नामों से आये हैं उन नामोंके साथ हम हर सप्ताह प्रकाशित करते रहेंगे। हम किन कविताओंको जानने योग्य मानते हैं और वे किनकी हैं, यह जाननेकी इच्छा यदि पाठकोंको हो तो हम उन्हें धीरज रखने की सलाह देते हैं।

इतना लिखनेके बाद हमें यह भी लिखना चाहिए कि गोत लिखने में कवियोंने ज्यादा लगनसे काम लिया होता तो वे और भी अच्छे बन सकते थे। एक भी गौतमें कोई विशेष ओज या कला नहीं दिखाई दी। यदि और भी ज्यादा शोध की जाती तथा विशेष लगनसे काम लिया जाता तो अच्छे शब्द और उदाहरण मिल सकते थे। पाठकोंको हमारी सलाह है कि वे अधिक श्रम करें और अधिक कुशलता प्राप्त करें।

श्री अम्बाराम मंगलजी ठाकरका गीत[१]

'या होम' [बलिदान की पुकार] करके टूट पड़ो आगे विजय ही विजय है।
संसार में जितने भी शूरवीर भक्त या दाता पैदा हुए हैं और जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन किया है उनकी माताएं धन्य है मालिक पर सच्चा और पूरा भरोसा रख कर मेरे मन में मन में यही बात छा जाए कि बस जेल ही जाना है इसके सिवा कुछ नहीं यदि दिल में जान से भी प्यारा देशभक्त प्रेम प्रकट हो जाए तो, दोस्तों खुदा सदा ही हिम्मतवालों की मदद पर रहता है। सब मिल कर यदि एक टेक मन में रखें तो जेल का कड़वा फल तो खाना पड़ेगा, लेकिन उसके बाद संसार में सुख ही सुख है।
 
  1. मूल गीत इस प्रकार है :

    या होम करीने पडो फतेह छे आगे-तले

    जग जनम्या ने शुरवीर, भक्त का दाता जनम्या ते मरवा माट हिंमत नहिं हारी;
    कर्तव्य आचरे धन्य, तेहनी माता ॥ टेक ॥ समरथ छे मालिक साथ रहम करनारो ॥ जग ॥
    या होम तणों ए अर्थ तत तैयारी
    राखी पूरी विश्वास धणीनो साचो हक मेळववा बहु लडे युरोपमा नारी ॥ जग ॥
    अर्बुजेल, जेलने-जेल एम उर राचो ॥ जग ॥ जापान करावे भान, दाखली ताजी
    ने प्रगटे दिलमां प्रेम प्राण शुप्यारो हक मागी ठामो ठाम, लेश नहि लाजो ॥ जग ॥
    हिंमतनी मददे खुदा, सदा छे यारो ॥ जग ॥ जुओ अकबरनो इतिहास सिफन्दर पूरी
    सौ हलीमळी जो टेक, एक उर राखो भड विक्रम, भोज, प्रताप, नेपोलियन शूरो॥ जग ॥
    जग जाहेर पाम्या मान अमीरने बोथा
    कडवु ओसड छे जेल, सुख भव आखो ॥ जग ॥ बहादुर तणी येसान, अवर ते थोथा ॥ जग ॥
    थिक चोर चाडिया, ठक घूता थई रहेवू रक्षक भक्षक बनी जाय कहो क्यां के'धुं
    मरदो हक मलवा माद, जेल दु:ख सहेवू ॥ जग ॥ महाराज एडवर्ड, हवे केटलु सहेवू? ॥ जग ॥