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३२. नेटालमें जेलका कानून

हमारे नेटालके विधायकोंने जो कानून बनाया है वह “एकको गुड़ और दूसरेको गोबर" वाली कहावतको चरितार्थ करता है। नेटालके सरकारी 'गज़ट'से मालूम होता है कि कैदियोंके चार वर्ग हैं: एक गोरा, दूसरा वर्णसंकर, तीसरा भारतीय और चौथा काफिर। गोरों और वर्णसंकरोंसे यदि सरकार कुछ काम कराये तो वह उन्हें इनाम देगी। किन्तु यदि भारतीय और काफिर काम करें तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। इसके अलावा, गोरों और वर्णसंकरोंको एक-एक गमछा मिलता है। किन्तु भारतीयों और काफिरोंको वह भी नहीं-मानों उन्हें गमछे की जरूरत ही नहीं है। इस प्रकार कैदियोंमें भी सरकारने जातपातका भेद किया है। वर्णसंकर कैदियोंमें केप बॉय, अमरीकी हदशी, हॉटेंटॉट वगैरहका समावेश होता है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-६-१९०७

३३. हेजाज रेलवे

'टाइम्स ऑफ इण्डिया' के संवाददाताने इस रेलवेकी व्यवस्थापर जो आक्रमण किया था उसका सारांश जब हमने दिया तब कहा था कि हमने उस संवादमें बताये विवरणकी श्री किदवई तथा श्री कादिरसे हकीकत पूछी है। श्री कादिर भारत पहुँच गये हैं। श्री किदवईको हमारा पत्र मिला। उन्होंने जो उत्तर दिया है वह हम नीचे दे रहे हैं। श्री किदवई स्वयं इस्लामिया अंजुमनके मन्त्री हैं।

आपके पत्रके लिए आभारी हूँ। मैं इस समय श्री रिचके पास हूँ। आपने 'टाइम्स' का जो अंश भेजा है वह उन्होंने मुझे दिया है। उसे ठीक तरहसे पढ़ लेनेपर मैं आपको लिखूँगा कि उसमें कौनसी बात सच है। उसमें जो बात गलत होगी उसका उत्तर देने के लिए मैं कदम उठाऊँगा और जो कुछ मैं करना चाहता हूँ वह भी आपको बताऊँगा। मेरे सहधर्मी भाइयोंका जिसमें बहुत ही हित समाया हुआ है, ऐसे कार्यमें आप इतने व्यस्त है, इसके लिए आपका उपकार मानता हूँ। हम भारतके हिन्दू और मुसलमानोंको एक दूसरेसे सम्बन्धित बातोंमें इसी प्रकार मेहनत तथा परस्पर सहायता करनी चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-६-१९०७

[१] देखिए खण्ड ६, पृष्ठ ४८४-८६। [२] अखिल इस्लाम अंजुमन, लन्दन।

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