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४२. लॉर्ड ऐम्टहिल

दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति अभी नये कानूनके सम्बन्धमें जोर लगा रही है। लॉर्ड ऐम्टहिल, जो इस समितिके अध्यक्ष बनाये गये है, बहुत मेहनत कर रहे हैं। लॉर्डसभामें उन्होंने जो भाषण' दिया है उसकी ओर हम पाठकोंका ध्यान खींचते हैं। उससे ज्ञात होता है कि नये कानूनसे विलायतमें बहुत ही उत्तेजना फैल गई है। सभी समझने लगे हैं कि भारतीय समाजपर बहुत जुल्म हो रहा है। अब उस जुल्मकी वास्तविकता सिद्ध करनेके लिए भारतीय समाजकी जिम्मेदारी है कि वह जेलवाले प्रस्तावपर दृढ़तापूर्वक डटा रहे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २९-६-१९०७

४३. इंग्लैंडकी बहादुर स्त्रियाँ

इंग्लैंडकी स्त्रियाँ अपने लिए मताधिकार प्राप्त करना चाहती है। उनकी सभाकी अधिकृत रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। उससे मालूम होता है कि वह सभा अपने कामके लिए हर सप्ताह करीब १०० पौंड खर्च करती है और आजतक, यानी दो वर्षके अन्दर, सब स्त्रियोंने मिलकर अपनी बहनोंके अधिकारोंके लिए लगभग छ: वर्षकी कैद भोगी है। सभाके मन्त्रीने लिखा है कि उस सभाका काम चलानेके लिए अभी २०,००० पौंडकी जरूरत है। उसने प्रत्येक सदस्यसे यह रकम इकट्ठी करने के लिए कहा है।

जब अंग्रेज स्त्रियोंको उनके ही समाजसे हक प्राप्त करने में इतना पैसा खर्च करना और इतना दु:ख उठाना पड़ता है तब भारतीय कौमको दूसरी कौमसे अधिकार प्राप्त कितना खर्च करना और कितना दुःख उठाना होगा? यह हिसाब प्रत्येक भारतीय समझ ले और फिर सोचे कि यदि पूरे १३,००० भारतीय जेल चले जायें और यदि वे १३,००० पौंड खर्च करें तो उससे इस कार्यमें कोई बड़ा खर्च नहीं होगा। कुल मिलाकर ट्रान्सवालकी भारतीय कौमने अभी तो २,००० पौंड भी खर्च नहीं किये हैं, न कोई जेल ही गया है। इतनेपर भी यह मानना कि अधिकार मिल ही जाने चाहिए, सरासर भूल मालूम होती है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २९-६-१९०७

[१] यहाँ नहीं दिया जा रहा है।

[२] यह उल्लेख इंग्लैंडमें चलनेवाले स्त्रियों के संसदीय मताधिकार आन्दोलनके सम्बन्धमें है। श्रीमती एमलिन पैंकहर्ट (१८५८-१९२८)के नेतृत्वमें महिलाओंने जो संघर्ष चलाया था उसमें धरना देना, अनशन करना, और जेल जाना शामिल था।

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  1. १.
  2. २.