४८. जोहानिसबर्गके ताजे समाचार
जोहानिसबर्ग
बुधवारकी शाम, [जुलाई ३, १९०७]
नया प्रवासी विधेयक पेश किया जा चुका है। इस विधेयकके अनुसार कोई भी अंग्रेजी जाननेवाला व्यक्ति [ट्रान्सवालमें] प्रवेश कर सकता है, किन्तु भारतीय नहीं। जान पड़ता है कि जिनपर खूनी कानून लागू होता है, वे अंग्रेजी जानें या न जाने, दाखिल नहीं हो सकते। इसके अलावा इस कानूनके अनुसार सरकार जिसे बुरा समझती है उसे जबरदस्ती निर्वासित कर सकती है और निर्वासित करनेका खर्च उसकी जायदादमें से ले सकती है। अब भारतीय अवश्य फन्देमें आये हैं। यह विधेयक पास होगा या नहीं, यह तो मैं नहीं जानता, किन्तु इसमें शंका नहीं कि ट्रान्सवालकी सरकार भारतीयोंको खदेड़ना चाहती है। मुझे आशा है कि हर भारतीय इज्जतके साथ यहाँसे जायेगा, बेइज्जती लेकर नहीं।
एशियाई भोजनालय
जोहानिसबर्गकी नगरपालिका प्रत्येक भारतीय भोजनगृहवालेके लिए यूरोपीय मैनेजर रखना अनिवार्य करना चाहती है।
फोक्सरस्टमें सभा
फोक्सरस्टमें मंगलवारको सभा हुई थी। श्री काछलिया सभापति थे। श्री गांधी, श्री भट तथा श्री काजी और श्री काछलियाके भाषण हुए। सबने जेल-सम्बन्धी प्रस्तावपर दृढ़ रहना स्वीकार किया। उसी समय चन्दा इकट्ठा किया गया। करीब २० पौंड चन्देके लिए नाम लिखवाये गये और ११ पौंड नकद मिले।
प्रिटोरिया
प्रिटोरियाके भारतीय बहुत जोर दिखा रहे हैं। अभीतक एक भारतीय भी नया अनुमतिपत्र लेने नहीं गया है।
इंडियन ओपिनियन, ६-७-१९०७
[१] यह “हमारे जोहानिसबर्ग प्रतिनिधि द्वारा प्रेषित" रूपमें प्रकाशित किया गया था।
[२] पाठके लिए देखिए परिशिष्ट ३।