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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पंजीयनके फार्मके बारेमें सलाह-मशविरा करेंगे। नया पंजीयन कानूनके बाहर होगा; उसे कानूनी रूप कैसे दिया जाये, इसपर भी परामर्श होगा।

श्री गांधीका प्रिटोरिया जाना

गुरुवार ३० तारीखको जेलके गवर्नरके नाम श्री गांधीको प्रिटोरिया भेज देनेका हुक्म आया। इसपर वे अधीक्षक वरनॉनके साथ प्रिटोरिया गये। रास्तेमें खाने-पीनेका प्रबन्ध सरकारने किया था। सब गुप्त रखना था। भारतीय धरनेदार प्रिटोरियामें बड़ा अच्छा काम कर रहे थे; वे देखे बिना न रहते इसलिए प्रिटोरिया पहुँचनेसे पहले गाड़ी विशेष रूपसे रोककर श्री गांधीको उतार लिया गया, और श्री लेन तथा अधीक्षक बेट्सके साथ वे उपनिवेश कार्यालयमें गये। स्मरण रहे कि श्री गांधी अभी कैदी ही थे। ठीक दो बजे जनरल स्मट्ससे मुलाकात हुई। वे बोले: "मेरे मनमें भारतीय कौमके खिलाफ कुछ भी नहीं है। उक्त पत्रमें जो माँग की गई है वह बहुत अधिक मानी जायेगी, किन्तु सरकारका विचार उसे स्वीकार कर लेनेका है। पंजीयन किस रूपमें करें और बादमें उसको कानूनका रूप कैसे दें, इसपर आगे चलकर विचार करूँगा। यह पंजीयन नये कानूनके बाहर ही होगा; लेकिन मेरी सलाह है कि इस बारेमें आप लोग आम चर्चा न करें। अगर आम चर्चा करेंगे तो आपको ही हानि पहुँचेगी, क्योंकि लोग मेरे खिलाफ हो जायेंगे।" श्री गांधी द्वारा दस अँगुलियोंकी बात चलानेपर उन्होंने कहा: "यदि दस अँगुलियोंकी आवश्यकता पड़े तो आपको देनी चाहिए; इसके खिलाफ आपकी लड़ाई नहीं है, यह आप कह चुके हैं। तथापि इस सम्बन्धमें भी हम बातचीत करेंगे।" फिर वे बोले: मेरी दूसरी सलाह यह है कि आप लोग 'कलमुँहों' (ब्लैकलेग) को हानि न पहुँचाएँ। श्री गांधीने कहा कि इस सम्बन्धमें सिफारिश करनेकी आपको कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने भूल की है, ऐसा हम निश्चित रूपसे मानते हैं। फिर भी वे हमारे भाई हैं और हमारे रक्त हैं। किसी भले भारतीयका उद्देश्य उन्हें परेशान करनेका नहीं हो सकता। और जो हदसे ज्यादा जोशीले लोग होंगे उन्हें काबूमें रखनेका काम हरएक समझदार भारतीयका है।" इसके अतिरिक्त और जो बातें हुईं उन्हें यहाँ देना आवश्यक नहीं है। इसके बाद मन्त्रिमण्डलकी सभा हुई और उन लोगोंकी स्वीकृतिपर, श्री गांधीको ऊपरके अनुवादके अनुसार उत्तर देकर रिहा कर दिया गया।

सार

इस समझौते का सार यह है कि भारतीय समाजने स्वेच्छया पंजीयनका जो प्रस्ताव किया था वह पूरा का पूरा स्वीकृत हो गया है। नया पंजीयन कानूनके अन्तर्गत नहीं होगा, बल्कि उसके बाहर होगा, और इस पंजीयनपर नया कानून लागू नहीं होगा। पंजीयन करानेके सम्बन्धमें 'गजट' में प्रकाशित सूचनाओं को वापस लेनेकी आवश्यकता अब नहीं रहती, क्योंकि उन सूचनाओंकी अवधि पूरी हो जानेके कारण वे समाप्त हो चुकी हैं।

परवानोंके बारेमें क्या?

परवानोंसे सम्बन्धित नोटिस अभीतक बना हुआ है, इसलिए यह व्यवस्था की गई है। है कि कलमुँहों (ब्लैकलेग) के अतिरिक्त प्रत्येक भारतीय फिलहाल बिना परवानेके व्यापार कर सकेगा, और जब नया पंजीयन करानेवालोंके लिए नया कानून बनेगा तब परवाना मिलेगा। इस बीच बिना परवाना व्यापार करनेके लिए किसीपर मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा।