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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसका अर्थ

इन पत्रोंसे जाहिर होता है कि प्रगतिवादी दल हमारे विरुद्ध नहीं है। ऊपरके इन कुछ पत्रोंसे यह स्पष्ट दिखाई नहीं देता कि नया कानून रद हो ही जायेगा, अथवा स्वेच्छया पंजीयन करानेवालोंपर वह लागू होगा ही नहीं। इसलिए किसीको सन्देह हो तो वह उचित होगा। ये पत्र इस इरादेसे लिखे गये हैं कि गोरे बहुत न चौंक पड़ें। फिर भी सरकार अगर धोखा देकर कानून वही बनाये रखे तो क्या होगा, यह सवाल पैदा हुआ है। इसका उत्तर सीधा है। हम लोग नया पंजीयन कायदेके अनुसार नहीं करा रहे हैं, यह तो ठीक ही है। बादमें यदि सरकार कानून रद नहीं करती तो हम इसके कारण कुछ बँध नहीं जाते। कानून रद न हो तो दुबारा लड़ेंगे, और तीन महीनेमें हम जो और ताकत इकट्ठी कर लेंगे वह हमारे काम आयेगी। यही नहीं, सरकारकी ज्यादा बदनामी होगी और उस हद तक हम लोगोंकी शक्ति बढ़ेगी। स्वेच्छया पंजीयनकी और सत्याग्रह (पैसिव रेजिस्टेन्स) की यह विशेषता है कि हमारे सूत्र सरकारके हाथमें होनेके बजाय हमारे ही हाथमें रहते हैं।

सम्पूर्ण समझौता

उक्त समझौतेकी लिखा-पढ़ी हो जानेके बाद जनरल स्मट्ससे फिर भेंट हुई। उसमें सब बातें साफ हो गई हैं।

१. अगर भारतीय समाज स्वेच्छया पंजीयन करायेगा तो नया कानून पूराका-पूरा रद हो जायेगा।

२. स्वेच्छया पंजीयनको वैध बनानेके लिए एक नया विधेयक स्वीकृत किया जायेगा।

३. स्वेच्छया पंजीयन १६ वर्षसे कम आयुवाले बालकोंपर लागू नहीं होगा।

४. स्वेच्छया पंजीयनकी अर्जी और पंजीयन पत्र नये छपेंगे। पंजीयन -पत्रोंमें पति, पत्नी और बालकोंका नाम और उनकी आयु दी जायेगी।

स्वेच्छया दी गई अर्जीसे माँका नाम हटा दिया जायेगा और उसमें बालकों और नाबालिगोंके नाम रहेंगे। जिनके सोलह वर्षसे नीचेकी आयुके चलने-फिरने योग्य बालक हों उनको उन्हें अपने साथ ले जाना होगा, जिससे उनको देखकर उनकी आयु और मुँहपर निशानी हो तो लिखी जा सके। जिनके बालक ट्रान्सवालसे बाहर हों वे अपने बालकोंके केवल नाम और आयु बता दें तो पर्याप्त होगा। सोलह वर्षसे कम आयुका होनेपर भी यदि माँ-बाप किसी बालकके लिए अलग पंजीयनकी माँग करेंगे तो वह मिल सकेगा। इसलिए अब याद रखना चाहिए कि पंजीयन कराते समय जो बालक ट्रान्सवालमें मौजूद हों और जो ले जाने योग्य हों उन्हें अपने साथ ले जाया जाये।

अँगुलियोंके निशानके बारेमें

(१) जिन्होंने अंग्रेजी शिक्षा अच्छी तरह पाई है उन्हें अँगुलियों या अँगूठोंकी छाप देनेकी आवश्यकता नहीं होगी।

(२) जो जाने-माने हैं अथवा जिनके पास धन-सम्पत्ति है वे अँगुलियों और अँगूठोंकी छाप देनेसे मुक्त हो सकते हैं।

(३) जिनको दसों अँगुलियोंकी छाप देनेपर विशेष आपत्ति हो, सरकार उनके अँगूठेके निशानको मान लेगी।

(४) और सबको दस अँगुलियोंकी छाप देनी होंगी।