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४९. पत्र: जनरल स्मट्सको[१]

जोहानिसबर्ग
फरवरी २२, १९०८

प्रिय श्री स्मट्स

आपसे प्राप्त अनुमतिके अनुसार मैं आज आपकी सेवामें १९०७ के प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम संख्या १५के[२] संशोधनार्थ विधेयकका मसविदा भेज रहा हूँ। मेरी सम्मतिमें मसविदा परिस्थितिका पूर्ण हल उपस्थित करता है। मेरे इसे भेजनेका समय आ गया है, क्योंकि इस बातके सब आसार दिखाई दे रहे हैं कि इस समझौतेको एशियाई बिना विरोधके स्वीकार कर लेंगे।

आप देखेंगे कि एशियाई अधिनियम द्वारा प्रदत्त कुछ अधिकारोंको विधेयकमें नहीं लिया गया है; जैसे, रद किये जानेवाले अधिनियमके अन्तर्गत वे एशियाई पंजीयनके अधिकारी हैं जो १९०२ की ३१ मईको ट्रान्सवालमें थे; परन्तु प्रस्तुत मसविदेमें वे उसके अधिकारी नहीं हैं। मैंने ऐसा जान-बूझकर किया है, क्योंकि इससे एशियाई प्रलोभनमें पड़ सकते हैं। मैं यह मानकर चला हूँ कि जो ३१ मई १९०२ को उपनिवेशमें थे, उन्होंने स्वेच्छया पंजीयनकी अवधि पूर्ण होने तक उसका लाभ उठा लिया होगा। उपनिवेशमें उस तारीखको उपस्थित और अबतक न लौटनेवाले बहुत-से लोग नहीं होंगे; फिर भी यदि कुछ ऐसे अपवाद हों तो वे संशोधनके अनुच्छेद 'छ' की अन्तिम धाराके अनुसार निपटाये जा सकते हैं। दूसरी ओर मैंने उन एशियाइयोंको खास तौरसे संरक्षण देनेकी धृष्टता की है जिन्होंने युद्धसे पहले पुरानी सरकारको ३ पौंड दिये थे; यद्यपि १९०७ के अधिनियम २ में उनका उल्लेख नहीं है, तथापि मंशा सदैव उनकी रक्षा करनेका था और इस समय उपनिवेशके बाहर ऐसे प्रमाणपत्रोंके मालिक सौसे अधिक नहीं हो सकते।

अस्थायी अनुमतिपत्रोंसे सम्बन्धित धारा १९०७ के अधिनियम २ से ली गई है। विधेयकके मसविदेमें मैंने स्वर्गीय अबूबकर आमदकी चर्च-स्ट्रीटवाली जायदादके[३] बारेमें एक धारा रखनेकी धृष्टता की है। जैसा कि आप जानते हैं, १९०७ के अधिनियम २ का तत्सम्बन्धी खण्ड निष्फल सिद्ध हुआ। ऐसे खण्डके लिए प्रवासी विधेयक उपयुक्त स्थान नहीं जान पड़ता, परन्तु चूँकि यह कानून एशियाई कानून संशोधन अधिनियमको रद करता है, इसलिए उस अधिनियमके अन्तर्गत माँगी गई राहत इस रद करनेवाले विधेयकमें भी दी जानी चाहिए। मुझे विश्वास है कि आप उत्तराधिकारियोंको उनकी पैतृक सम्पत्तिका स्वामित्व पुनः प्रदान

 
  1. लेनने १२ मार्चके अपने उत्तर (एस० एन० ४७९८) में लिखा था कि जनरल स्मट्स "अन्य मामलोंमें बहुत व्यस्त हैं" और "उन्हें इस प्रश्नपर विचार करनेका अवसर नहीं मिला। "रिचने अपने २७ जुलाईके पत्रके साथ स्मट्सको लिखे गये इस पत्रकी भी एक नकल संलझकर उपनिवेश कार्यालयको भेजी थी।
  2. देखिए इसके साथ संलग्न पत्र।
  3. देखिए खण्ड ५, पृष्ठ २७८-९ और खण्ड ६, पृष्ठ १२५-६।