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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

१९०७ के जून महीनेमें लालाबावाने बताया कि उसने अनुमतिपत्र ३० पौंडमें खरीदा।

जोहानिसबर्गमें १९०७ के जूनमें काका हीराने कहा कि उसने कानजी मोरारसे ३० पौंडमें अनुमतिपत्र खरीदा था।

किसी भारतीय द्वारा दूसरे भारतीयके नाम लिखा गया एक पत्र पुलिसके हाथ लगा। उसमें लिखा था: "सलाम। दीगर खबर यह है कि ८-१० भारतीय जोहानिसबर्गमें आये हुए हैं। यदि उनमें से हरएकको अनुमतिपत्र मिले तो मैं हर व्यक्तिपर १५ पौंड दूँगा। यदि तुमसे बने तो यह कमाने का अच्छा मौका है।"

१९०७ के मार्चमें शेख अहमदकी अरजी अनुमतिपत्रके लिए आई। जाँचके सिलसिलेमें अधीक्षक वरनॉनको पता चला कि एक भारतीयने किसी दूसरे भारतीयको तीन भारतीयोंके दाखिलेके जाली अनुमतिपत्र देनेके बदले ७५ पौंड देने को कहा है।

१९०७ के मईमें एम० लाला नामक एक व्यक्ति अदालतमें पेश किया गया। उसने हर जाली अनुमतिपत्रवाले व्यक्तिपर अधीक्षक वरनॉनको ८ पौंड देने के लिए कहा था। उसने यह भी कहा था कि अगर अधीक्षक वरनॉन यह धन्धा करें, तो उन्हें हर महीने ४०० पौंड और कॉस्टेबल हैरिसको हर महीने २०० पौंडकी आमदनी हो सकती है।[१]

जमीनका हक

१७ अगस्तको लॉर्ड एलगिनने ट्रान्सवालकी सरकारसे कहा कि श्री कॉक्सकी[२] सिफारिशके मुताबिक भारतीयोंको उनके धन्धेवाले स्थानमें जमीन खरीदनेका हक दिया जाना चाहिए। ट्रान्सवालकी सरकारने इसके उत्तरमें स्पष्ट 'ना' लिख दिया।

प्रवासी कानूनपर डी' विलियर्सकी टीका

श्री डी'विलियर्स, जो ट्रान्सवालके अटर्नी जनरल हैं, निम्नानुसार टीका करते हैं:[३]

आजतक लोगोंके आवागमनपर प्रतिबन्ध लगानेके लिए अनुमतिपत्रका कानून था। उसपर हाई कमिश्नरकी मारफत अमल किया जाता था। ट्रान्सवालको स्वराज्य मिल जानेके बाद हाई कमिश्नरने उस कानूनको लागू करनेसे इनकार कर दिया। इसलिए नेटाल और केपकी तरहका प्रवासी कानून बनाना आवश्यक जान पड़ा। 'निषिद्ध प्रवासी' शब्दोंके अन्तर्गत वे भारतीय भी आ जाते हैं जिनपर एशियाई कानून संशोधन अधिनियम लागू होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि यूरोपकी किसी भाषाका ज्ञान होनेपर भी उनपर प्रतिबन्ध है। इसी तरह जो एशियाई फिलहाल कानूनको न माननेके इरादेसे बाहर गये हैं वे भी इस प्रतिबन्धमें आ जाते हैं। इसका यह अर्थ हुआ कि जो एशियाई

 
  1. देखिए खण्ड ७, पृष्ठ १२-३।
  2. हैरॉल्ड कॉक्स (१८५९-१९३६); अलीगढ़के मोहम्डेन एंग्लो-ओरिएण्टल कालिजमें गणितशास्त्रके प्राध्यापक, १८८५-७; अर्थशास्त्री और पत्रकार; संसद सदस्य, १९०६-९। खण्ड ६ भी देखिए।
  3. गुजरातीसे किया गया डी' विलियर्सकी टीकाका यह अनुवाद ७-३-१९०८ के इंडियन ओपिनियनमें प्रकाशित अंग्रेजी पाठसे मिला लिया गया है।