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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रहते हुए भी काम किया और 'इंडियन ओपिनियन' ने प्रभावकारी किन्तु संयत ढंगसे लेख लिखे। मैं उन्हें बहुत बधाई देता हूँ।

सर रोपर लेथब्रिजने,[१] जो कलकत्ताके प्रख्यात समाचारपत्र 'इंग्लिशमैन' के मालिक हैं, निम्नलिखित तार किया: "बहुत बधाइयां देता हूँ, क्योंकि समझौता भारतीय कौमका सम्मान अक्षुण्ण रखकर हुआ है।"

लन्दन भारतीय समितिके सेक्रेटरी श्री एम० शाकिर अली लिखते हैं:[२]

आप और आपके साथियोंने ट्रान्सवालमें जो काम किया है उसके लिए लन्दनकी भारतीय समिति आपका बहुत अभिनन्दन करती है। देशी भाइयोंके लिए जो अमूल्य काम आप करते आये हैं और ट्रान्सवालमें कानूनके विरुद्ध सत्याग्रहकी आपने जो लड़ाई लड़ी है, उसे भारतीय जनता कभी नहीं भूल सकती। आप और आपके साथियोंने जो अद्भुत साहस दिखाया है, जो दुःख सहन किया है और जेल जाकर जो उत्तम आदर्श स्थापित किया है, वह बहुत बखान करने योग्य है। आपने यह बता दिया है कि आपका संघर्ष सत्यपर आधारित है और बड़ी सरकारके सामने यह सिद्ध कर दिया है कि जहाँ भारतीय समाजके सम्मानको ठेस पहुँचती है, वहाँ भारतीय दुर्बल हों और उन्हें दूसरे लोगोंकी मदद भी न हो, तो भी वे इकट्ठे होकर लड़ाई कर सकते हैं। समितिकी यह भावना आप अपने साथ कष्ट उठानेवाले अन्य भारतीय भाइयोंपर भी प्रकट करने की कृपा करें।

ट्रान्सवाल आनेवालोंको सूचना

मैंने सुना है कि भारतके शत्रु-जैसे कुछ भारतीय ट्रान्सवालमें गलत ढंगसे प्रवेश करनेका प्रयत्न कर रहे हैं। ज्यादातर ऐसे ही लोगोंके कारण १६ महीने तक भारतीय समाजने दुःख उठाया है और ऐसे ही भारतीय फिर समाजको नुकसान पहुँचायेंगे। हरएक जिम्मेदार व्यक्तिको मेरी खास सलाह है कि बीचमें पड़कर जहाँ-कहीं इस ढंगसे छल-कपटके साथ ट्रान्सवालमें आनेका प्रयत्न होता हो, वहाँ लोगोंको समझा दिया जाये और बुरा काम करने से रोका जाये। स्वेच्छया पंजीयन करानेवाले भारतीय ऐसा करनेके लिए सरकारके साथ बँधे हुए हैं, यह बात याद रखनी चाहिए।

एक समाचार

मुझे समाचार मिला है कि जिन्हें पंजीयन पत्र मिल चुका है, उन्हें तुरन्त परवाना मिलेगा। अब उस प्रकारके व्यक्तियोंको इस बारेमें जल्दी करनी चाहिए। पंजीयन हुआ हो या न हुआ हो, पहले तीन महीनेके लिए परवाने सभीको मिल सकें, ऐसी कोशिश की जा रही है। अधिक समाचार अगली बार देनेकी आशा है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ७-३-१९०८
 
  1. देखिए खण्ड ६, पृष्ठ १६१।
  2. यह पत्र अनुमानतः गांधीजीको ही लिखा गया था।