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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वह अपराध ऐसा नहीं है जिसके कारण उन्हें खास तौरसे परेशान किया जाये। यदि वे लोग सरकारको बाकायदा तथ्य दे दें और वे किस तरह आये हैं यह सरकारको बता दें, तो मेरी मान्यता है कि सरकार तरह देकर उन्हें भी पंजीयन करनेका हुक्म दे देगी। किन्तु इसके पहले भारतीय समाजको लोभ छोड़ना चाहिए। प्रार्थनापत्र सही भरने चाहिए और नये लोगों को दाखिल करनेमें विवेक बरतना चाहिए। लोभ पापका मूल है, यह बात हर काममें याद रखना जरूरी है।

भारतीयोंके मित्रोंको प्रीति-भोज

श्री कार्टराइट, श्री फिलिप्स, श्री डोक आदि जिन महान अंग्रेजोंने हमें बहुत सहायता पहुँचाई है, उन्हें शनिवारको प्रीति-भोज दिया जायेगा। उसमें कुछ भारतीय भी उपस्थित रहेंगे। कहा जा सकता है कि दक्षिण आफ्रिकामें ऐसा लगभग पहली ही बार हो रहा है। उसका विशेष हाल हम अगली बार देंगे।

सर लेपेल ग्रिफिन

स्वर्गीय सर लेपेल ग्रिफिनके कुटुम्बको ब्रिटिश भारतीय संघकी ओरसे दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश [भारतीय] समितिकी मारफत समवेदनाका तार भेजा गया है।[१]

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १४-३-१९०८

६७. पत्र: एफ० एच० टैथमको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च १४, १९०८

श्री एफ० एच० टैथम
एडवोकेट
पीटरमैरित्सबर्ग
प्रिय महोदय,

मुझे पता चला है कि बद्री तथा अन्य लोगोंके विरुद्ध कोई मुकदमा सर्वोच्च न्यायालयके सामने विचाराधीन है। उसके सम्बन्धमें श्री लैबिस्टरने आपको मुकर्रर कर लिया है। श्री बद्री मेरे पुराने मुवक्किल हैं। उनकी अनुपस्थितिमें उनका आम मुख्तारनामा भी मेरे ही पास था और उन्होंने इच्छा प्रकट की थी कि मैं उन्हें मुकदमा समझा दूँ। अतएव यदि आप कृपया कागजात[२] मुझे भेज दें, ताकि मैं जान सकूँ कि मुकदमा किस बाबत है तो मैं आभारी होऊँगा। देखनेके बाद मैं कागजात फौरन ही वापस कर दूँगा।

आपका विश्वस्त,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४७९९ ) से।

 
  1. "स्वर्गीय सर लेपेल ग्रिफिन", भी देखिए, पृ४ १३२।
  2. वादी तथा प्रतिवादीके एस० एन० ४७९७।