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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अध्यक्ष थे श्री ईसप मियाँ। श्री ईसप मियाँ, श्री इमाम अब्दुल कादिर, श्री कामा तथा श्री गांधीने सहायता देनेवाले गोरोंके प्रति आभार प्रदर्शित किया; और बादमें उनकी ओरसे श्री हॉस्केनने उत्तर दिया। उसमें उक्त महोदयने कहा:[१]

मैंने जुलाईमें भारतीय समितिको कायदा मान लेनेकी सलाह दी थी। मुझे अब उस बातपर शर्म आती है। मेरा विचार भारतीय समाजका भला करनेका ही था। मुझे लगा कि बोअर सरकारका मुकाबला करना निरर्थक है किन्तु मुझे श्री गांधीने जवाब दिया कि भारतीय समाज आदमीकी मददके बलपर नहीं लड़ रहा है, उसका आधार ईश्वरीय सहायता है और जिसके नामसे उसने लड़ाई शुरू की है, वही उसकी मदद करेगा। देखता हूँ कि ये शब्द ठीक सिद्ध हुए हैं। भारतीय समाजने जो बहादुरी दिखाई है, उससे बहुत-से गोरोंकी सहानुभूति बढ़ी है। भारतीय समाजने गोरोंको बहुत कुछ सिखाया है। इस भोजके आयोजनसे मुझे खुशी हुई है। गोरे और कालोंको मिलकर रहना ही शोभा देता है। भारतीय समाजने जो एकता, धीरज और नम्रता दिखाई है, वह बहुत ही प्रशंसनीय है।

श्री कार्टराइटने कहा: मैं अधिक नहीं कर सका, इसलिए लज्जित हूँ। भारतीय समाजकी वीरतासे उसका मान बहुत अधिक बढ़ा है। उसने जो उदाहरण उपस्थित किया है, वह अत्यन्त अनुकरणीय है।

श्री फिलिप्सने कहा:

मैं श्री हॉस्केनके शब्दों का समर्थन करता हूँ। एशियाके लोगोंने ईश्वरके ऊपर सच्चा विश्वास दिखाया है। गरीब गोरोंकी मदद करनेवाले संघको चीनियोंने १०५ पौंड देकर बहुत बड़ा आदर्श उपस्थित किया है। जिन गोरोंने उन्हें परेशान किया, जो संघ काले लोगों की मदद नहीं करता, उन्हीं गोरोंकी, उसी संघकी चीनियोंने मदद की, यह कोई मामूली बात नहीं है। मुझे बड़ी ही प्रसन्नता हुई है कि हम आज इस तरह इकट्ठे हुए हैं। कुछ लोगोंके मनमें सन्देह है कि सरकार दगा देगी। किन्तु सरकार अब दगा नहीं दे सकती। यदि दे, तो विरोध करनेके लिए काफी गोरे भी आगे आयेंगे।

श्री डोकने भाषणमें कहा, "भारतीय समाजने सत्याग्रहकी सच्ची लड़ाई लड़ी है। वह अपने नामको इसी तरह निभाता चला जायगा, ऐसी आशा है।"

श्री प्रॉक्टरने कहा:

रायटरका काम केवल समाचार देना था। यदि श्री पोलक समुचित ढंगसे समाचार न देते, तो रायटरने जितना किया, उतना करना सम्भव न होता।

बादमें श्री डी० पोलकने भाषण देते हुए कहा:

भारतीय समाजने सारे काले लोगोंकी मुक्तिका दरवाजा खोल दिया है। इस समाजने वास्तविक साम्राज्यवादको समझा है। उसके कामसे काले और गोरे काफी हद तक पास-पास आये हैं।

तदनन्तर श्री पोलकका संक्षिप्त भाषण हुआ और बादशाहकी दीर्घायु-कामनाका गीत गाया गया। इसके बाद ११ बजे सभा समाप्त हुई।

 
  1. भाषणका यह सारांश स्वतंत्र रूपसे तैयार किया गया प्रतीत होता है।