पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/१८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४५
जोहानिसबर्ग की चिट्ठी

खानेकी वस्तु सूचित करनेवाले कार्डके ऊपर छापा गया था: "सत्याग्रहकी लड़ाईमें सत्य और न्यायके लिए जिन गोरोंने संघर्ष किया यह भोज उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करनेके लिए दिया गया है।"

भोजनमें २४ वस्तुएँ थीं। उनमें मांसकी कोई वस्तु नहीं थी। अर्थात् सभीको रुचनेवाली वस्तुएँ-भर वहाँ थीं। चीजें ऐसी बनाई गई थीं कि गोरे और हमारे समाजके सब लोगोंको पसन्द आयें। पीनेके लिए नीबूका शर्बत (लैमनजूस) सोडावाटर, वगैरह दिये गये थे।

कहा जाता है कि दक्षिण आफ्रिकामें यह अपने ढंगका पहला ही भोज था। किसी गोरेकी भावनाको निरर्थक ठेस न लगे इसलिए इस भोजके सम्बन्धमें कोई चर्चा नहीं की गई, बल्कि इसे पूरी तरह गुप्त रखा गया।

चीनियोंका भोज

चीनियोंने शुक्रवारको मानपत्र देनेके लिए सभा बुलाई है; वे भी हमारी तरह उस दिन भोज देंगे जिसका विवरण अगले सप्ताह दिया जायेगा।[१]

पंजीयन कार्यालय

पंजीयनका काम यहाँ आगामी शुक्रवारको बन्द हो जायेगा। प्रिटोरियामें भी उसी दिन बन्द होगा। पाँच हजारसे ऊपर प्रार्थनापत्र जोहानिसबर्गमें दिये जा चुके हैं। जान पड़ता है, अब और कोई नहीं बचे। पीटर्सबर्ग-में कार्यालय ३० तारीखको खुलेगा। स्पेलोनकिनके कुछ व्यक्तियोंका पंजीयन हो गया है। जर्मिस्टनमें कार्यालय २३ तारीखको खुलेगा। जीरस्ट, लिख्तनबर्ग और वेरिनिगिंगमें कार्यालय खुल चुके हैं। जीरस्ट और लिख्तनबर्गमें कर्मचारियोंने गलतफहमीके कारण पहले सबसे १० अँगुलियोंकी छाप अथवा हलफिया बयान माँगे। इसपर संघने तुरन्त तार किया और अब ठीक प्रबन्ध हो गया है।

परवाने

परवाने अब बिना किसी परेशानीके मिल सकते हैं; बहुतसे लोग तो ले भी चुके हैं।

धोखाधड़ी

पंजीयकके सामने इस समय कुछ भारतीय झूठी जानकारी देते हैं। बच्चोंके झूठे नाम या अधिक नाम गिना देते हैं। इस सबसे उनका नुकसान होगा। ऐसे लोगोंको बहुत सावधानीसे चलना चाहिए।

स्त्रियोंके अँगूठेकी छाप

फोक्सरस्टमें किसी स्त्रीके अँगूठेकी छाप ली गई थी; अब बन्दोबस्त हो गया है और किसी भी स्त्रीका अंगूठा नहीं लिया जाता।

परवानेके बारेमें सूचना

राजस्व आदाता (रिसीवर ऑफ रेवेन्यू) ने विशेष सूचना दी है कि कोई भी भारतीय तत्काल परवाना ले सकता है। अनुमतिपत्र दिखानेकी भी आवश्यकता नहीं। फिर भी अबतक बहुत कम भारतीयोंने परवाने लिये हैं। यदि इस समय परवाने नहीं ले लिये जाते तो बिना परवानोंके व्यापार करनेपर मुकदमे चलाये जायेंगे। इसलिए सभी भारतीय व्यापारियों अथवा फेरीवालोंको तुरन्त परवाने ले लेने चाहिए।

८-१०
 
 
  1. देखिए "जोहानिसबर्गकी चिट्ठी", पृष्ठ १५५।