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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

है। जो राष्ट्र आगे बढ़े हैं वे धीरे-धीरे अपने मानकी रक्षा करके ही बढ़े हैं। मानका अर्थ उद्धतता नहीं है; किन्तु भयके कारण अथवा आलस्यवश जो हमारा है उसे न जाने देनेकी मनःस्थिति रखना और उसके अनुसार आचरण करना वास्तविक मान है। ऐसे मानको वही समझ सकता है जिसका ईश्वर-खुदा-पर सच्चा भरोसा, आधार है। मेरा निश्चित मत है कि प्रत्येक विषयमें ठीक-ठीक जानने और ठीक-ठीक करनेका गुण उस व्यक्तिमें नहीं आ सकता जिसमें सच्ची श्रद्धा नहीं है।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, २८-३-१९०८

७६. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

चीनियोंकी सभा

चीनियोंने कमाल कर दिखाया है। एकताकी दृष्टिसे उन्होंने हम लोगोंको हरा दिया, सुघड़तामें उन्होंने हमें हरा दिया; और उन्होंने हमें सभ्यतामें और उपकार-वृत्तिमें भी हरा दिया। शुक्रवार २० तारीखको उन्होंने दो प्रकारके आमन्त्रण दिये थे। एक था जिन्होंने उनकी मदद की थी उन्हें मानपत्र देनेकी सभाका और दूसरा था प्रीति भोजका। सभा तीन बजे की गई--उनके अपने ही भवनमें। उसमें अंग्रेज और बहुत-से भारतीय भी निमन्त्रित थे। उनके भवनके आगे हमारा भवन फीका है। वह बहुत अच्छी तरह सजाया गया था। उस सभामें श्री फिलिप्सको एक मानपत्र दिया गया जिसमें सुन्दर चित्रकारी की गई थी। उसमें उनकी मेहनतके लिए श्री फिलिप्सका उपकार माना गया था ।

दूसरा मानपत्र श्री डोकको दिया गया। उसमें उनके काम तथा उन्होंने श्री गांधीकी जो सेवा की उसके बदले उपकार माना था। श्रीमती डोकको ओककी बनी हुई एक सुन्दर मेज दी गई। वह भी इसलिए कि उन्होंने श्री गांधीकी सेवा-शुश्रूषा की।

श्री कार्टराइटको २७ पौंड मूल्यकी सोनेकी घड़ी दी गई। श्री डेविड पोलकको २० पौंडकी थैली अर्पित की गई। श्री पोलकको जो मानपत्र दिया गया उसमें कौमके लिए अतिशय श्रम करनेके लिए उनका आभार माना गया। उसमें कहा गया: आपके कामका मूल्य हम पैसेसे नहीं चुका सकते। आपके मनमें संतोष है। इसीको आप बदला मानते हैं। किन्तु हम अपना फर्ज समझकर जो कुछ आपको तथा श्रीमती पोलकको अर्पण कर रहे हैं, हम आशा करते हैं कि आप उसे स्वीकार करेंगे।

श्रीमती पोलकको काँटे-चम्मचकी एक संदूकची और सोनेकी एक जंजीर दी, जिनका मूल्य लगभग २८ पौंड है। श्री पोलकको ५० पौंडकी थैली भी दी गई।

श्री रिचको मानपत्र विलायत भेजा गया है। वह उक्त सभामें पढ़कर सुनाया गया। उसमें लिखा है:

आपकी अथक मेहनतके बिना ऐसा सन्तोषजनक फैसला नहीं हो सकता था। आपने जो काम किया है उसकी तारीफ चारों ओर हो रही है; उसीके कारण विलायतमें ऐसी कठिन लड़ाई चली। आपका काम हम कभी भूल नहीं सकते।