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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

श्री रिचको उन्होंने ६० पौंडकी थैली भेजी है। कुमारी स्लेशिनको उन्होंने १० पौंड मूल्यकी सोनेकी घड़ी अर्पित की।

श्री गांधीको एक मानपत्र दिया गया है। उसमें लिखा है:

आपने राजनीतिक बुद्धिमानी प्रकट की; उसीके कारण ऐसा अच्छा समझौता हुआ है। आप ही ऐसा काम करने योग्य थे, इसलिए हम आपके बहुत आभारी हैं। यदि आप इस काममें न होते तो हम हार जाते। किन्तु हम आपका विशेष मान आपके सद्गुणोंके लिए करते हैं। आपके सद्गुणोंसे यह संघर्ष पवित्र हुआ, यह हमारी मान्यता है; और उसोसे आज एशियाई कौमका मान बढ़ा है। आपने अपनी बहादुरीके साथ विनय और नम्रता रखी, इसलिए हम सब आपको बहुत चाहते हैं और आपकी सलाहकी आकांक्षा रखते हैं।

इस बैठकमें श्री हॉस्केन उपस्थित थे। उन्होंने अच्छा भाषण दिया।

शामके प्रोति-भोजमें ९२ लोगोंके लिए मेजें लगाई गई थीं। इनमें ३० मेहमान और बाकीके ६२ चीनी थे। भोजनके समय बैंड भी हाजिर था। भोजनमें तीन चीनी महिलाएँ और चीनी वाणिज्यदूत भी उपस्थित थे। भोजनके बाद श्री क्विनने [चीनके] बादशाहको प्रशंसामें भाषण किया। उसमें उन्होंने कहा:

हम अंग्रेजी राज्यमें स्वतन्त्रतापूर्वक रहते हैं, इसलिए उसकी उन्नतिकी कामना करते हैं। हम चीनकी प्रजा हैं, इसलिए चीनके बादशाहकी उन्नतिकी कामना करना हम अपना कर्तव्य समझते हैं।

चीनी संघके मन्त्रीने अपने भाषणमें कहा:

यूरोपीय सज्जनोंने भारतीयों की मदद की, क्योंकि भारतीय ब्रिटिश प्रजा है। हमारे साथ वैसा सम्बन्ध नहीं है। फिर भी उन्होंने हमारी मदद की। यह तो केवल न्याय-दृष्टि ही कही जायेगी। इसलिए हमने उन्हें यह जो प्रीति-भोज दिया, सो कुछ भी नहीं है।

उसके बाद श्री हॉस्केन जवाब देनेके लिए उठे। उन्होंने कहा:

मुझसे तो कुछ भी नहीं बन पड़ा। मैं काले-गोरोंके बीच अन्तर नहीं करता। एशियाके लोगोंने हमें सीख दी है। आपकी बहादुरी और आपकी विजय, ये दोनों बहुत ही बखान करने योग्य हैं।

श्री फिलिप्सने कहा:

एशियाइयोंकी बहादुरीके विषयमें एक-एक शब्द सच्चा है। मुझसे जितना बनेगा, मैं उतना अवश्य करता रहूँगा।

श्री डोकने उसी प्रकारका भाषण किया। बादमें श्री कार्टराइट तथा श्री पोलक बोले। श्री पोलकने कहा:

एशियाइयोंके संघर्षसे काले मनुष्योंके सारे समाजको लाभ हुआ है। बोअर सरकारको हरानेवाले एशियाई ही हैं, ऐसा मैं मानता हूँ।