पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/१९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१५८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रुडीपूर्टके भारतीय

रुडीपूर्टके गोरे लोग भारतीयोंके प्रति ईर्ष्यालु होते जा रहे हैं। यह पता चलनेपर कि उस नगरमें कुछ भारतीय जमीन लेकर गोरोंके नामपर चढ़ा देते हैं और मिलकियतका उपभोग करते हैं, उन्होंने उस सम्बन्धमें उपनिवेश-सचिवको लिखा है और सूचित किया है कि कानूनमें इस प्रकार परिवर्तन करना चाहिए जिससे गोरे भारतीयोंकी ओरसे जमीन न रख सकें और भारतीय जमीनके पट्टे गोरोंके नामपर न ले सकें। इससे भारतीयोंको सतर्क हो जाना चाहिए कि गोरोंने अपनी तलवार म्यानमें नहीं रखी है। इस बीच यदि भारतीय घमण्ड या किसी दूसरे कारणसे मिली-मिलाई इज्जत गँवा बैठे, तो बादमें पछताना पड़ेगा।

श्री बेलीका भाषण

श्री ऐवे बेली ट्रान्सवालको संसदके एक प्रमुख सदस्य हैं। वे प्रगतिशील दलके मुखिया हैं। उसके सिवाय वे खानोंके मालिक भी हैं। क्रूगर्सडॉर्पमें उन्होंने गत शनिवारको भाषण दिया। वे उसमें खूनी कानूनके बारेमें बोले। (यह भाषण हमने दूसरी जगह दिया है।)[१] श्री बेलीके इस भाषणसे हम दो चीजें सीख सकते हैं। एक तो यह कि भारतीय चाहे जो समझें, गोरे तो यह समझते हैं कि बोअर सरकार हार गई है और पीछे हट गई है। दूसरे, यह कि गोरोंके साथ टक्कर लेना अभी शेष है। इसलिए भारतीय समाजको हमेशा जाग्रत रहना है। यदि हम ऊँघते हुए पकड़े गये, तो मारे जायेंगे। सत्य और एकतारूपी हमारे दो हथियार हमेशा सजे रहने चाहिए।

संघका भवन

श्री ईसप मियाँको नीचेके मुताबिक पत्र मिला है।

महोदय, तारीख १४ के अंकमें आपके हस्ताक्षरोंसे संघके भवनकी निधिसे सम्बन्धित गुजराती लेख मैंने पढ़ा है, "जिसकी नसोंमें भारतीय रक्त बहता होगा वह इस काममें दिल खोलकर मदद करेगा।" आपके ऐसे सत्य-वचनोंसे मेरा रक्त भी सतेज हो गया है। नीचेकी तुच्छ भेंट स्वीकार करके कृतज्ञ बनाइये। मनजी नथुभाई घेलाणी, पौंड १-०-०; बिठलदास मनजी, १० शिलिंग तथा मोहनलाल मनजी, १० शिलिंग। कुल पौंड २।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, २८-३-१९०८
 
  1. यह नहीं दिया गया है। अपने भाषणमें श्री बेलीने कड़ी भर्त्सनाके स्वरमें बोलते हुए कहा कि एशियाई पंजीयन अधिनियमको लेकर जनरल स्मट्स शाही सरकारके दबावमें आ गये हैं और अपने निर्णयसे "पीछे हट" गये हैं। क्रूगर्सडॉर्पके गोरोंमें एशियाइयोंके प्रश्नको लेकर जो जागरूकता है और गोरे फेरीवालोंकी लीगका जो एशियाई विरोधी आन्दोलन है, उससे उन्हें बड़ी प्रसन्नता है। उन्होंने क्रूगर्सडोर्पके गोरोंसे खासतौरसे स्त्री-समाजसे भारतीय फेरीवालोंका बहिष्कार करनेकी अपील की।