पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/१९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

७९. पत्र: मगनलाल गांधीको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च २८, १९०८

चि० मगनलाल, कृपया श्री बद्रीसे कहना कि मैंने उनके कागजात खूब ध्यानके साथ पढ़ लिये हैं। मैंने वह इकरारनामा, जिसपर न्यू कैंसलके श्री ऐंडर्सनके हस्ताक्षर हैं, पढ़ लिया है। वावड़ाके सम्मन्सका उत्तर भी मैंने पढ़ लिया है। दो चीजें हैं, जिनके कारण श्री बद्रीको पूरी सफलता अवश्य मिलनी चाहिए। उत्तरके अनुच्छेद ६ और ७ में कहा गया है कि वावड़ा जिस भूमि-पर अपना दावा बताता है, यह जमीन वह नहीं है जिसका जिक्र इकरारनामेमें किया गया है। और सर्वेक्षकने जिस भूमिका सर्वेक्षण किया है उसमें वह भूमि भी शामिल है जो इकरारनामेमें, जिसके आधारपर सम्मन्स जारी किये गये हैं, उल्लिखित नहीं है। यदि ये दो बातें साबित की जा सकें तो श्री बद्री अवश्य जीत जायेंगे। किन्तु मुझे बड़ी आशंका है कि कहीं दिये गये जवाबमें कोई गलती न हो। अतएव उन्हें बहुत सावधान रहना चाहिए; क्योंकि यदि वे हार गये तो उन्हें सर्वोच्च न्यायालयमें कदाचित् १०० पौंड या उससे भी अधिक खर्च करने पड़ेंगे। डंडीके सॉलिसिटर श्री लैबिस्टरने मेरे पास कागजात भेजे हैं। उन्हें बड़ी आशा है; किन्तु मैं स्वयं इस बारेमें पूरा इत्मीनान कर लेना चाहता हूँ कि जिस जमीनको वावड़ा तलब करते हैं, वह इकरारनामेमें उल्लिखित भूमि नहीं है। इसलिए आपके पास इस सम्बन्धमें बहुत जोरदार और निर्णायक प्रमाण होना जरूरी है। तुम्हें चाहिए कि श्री बद्रीको यह पत्र अच्छी तरह समझा दो। यदि वे कुछ और प्रश्न पूछना चाहें तो मैं अब इनका उत्तर देनेकी स्थिति में हूँ; क्योंकि मेरा खयाल है कि मेरे पास सारे कागजात मौजूद हैं और इसके अलावा, मैं उन्हें गौरसे देख चुका हूँ। श्री बद्रीसे यह भी कह देना कि जो पिछला हिसाब उन्हें दिया गया था, और जिसके बारेमें उन्होंने कुछ कहा था, उसके बाद मैंने उनसे कोई फीस नहीं ली है और जो काम मैं अब कर रहा हूँ, उसकी भी कोई फीस बिना उनकी सहमतिके लेनेका मेरा इरादा नहीं है। उनसे पूछना कि स्वयं उनका इस मामलेमें क्या मत है और क्या इसके लिए मुझे फीस लेनी चाहिए। उनसे कहना कि यद्यपि यह आम रिवाज नहीं है, फिर भी मैं चाहता हूँ कि फीसके मामलेमें पूर्ण रूपसे वे ही मेरा पथ-प्रदर्शन करें; क्योंकि उन्होंने मुझपर इतना अधिक विश्वास रखा है।

यदि तुम्हें श्री बद्री न मिलें तो इस पत्रको तुम जीतन मियाँके घर छोड़ सकते हो।

तुम्हारा शुभचिन्तक,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४८०६) से।

८-११