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८०. लॉर्ड सेल्बोर्नके विचार

लॉर्ड सेल्बोर्नने क्लार्क्सडॉर्पमें भारतीयोंके प्रश्नपर जो भाषण दिया वह समस्त भारतीयोंके लिए विचारणीय है। हम उसका अनुवाद अन्यत्र दे रहे हैं।

लॉर्ड सेल्बोर्नके भाषणका अर्थ यह है कि भारतीयों और दूसरी एशियाई कौमोंको गोरोंके खास देशमें न आने देना चाहिए। उनके लिए खास देश रखा जाये जिसमें वे बसें। उन्होंने गोरोंके देशमें उनको न आने देनेका उपाय यह बताया है कि भारतीय तो ब्रिटिश प्रजा हैं और उनमें कोई दम नहीं है, इसलिए उनके साथ चाहे जैसा व्यवहार किया जा सकता है। बाकी रहे जापानी और चीनी। उनको बाहर रखनेके लिए अंग्रेजी बेड़ेको मजबूत बनाया जाये जिससे कि उनको बलात् दूर रखा जा सके।

गोरोंके खास देशोंमें लॉर्ड सेल्बोर्न दक्षिण आफ्रिका, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूजीलैंड आदिको गिनते हैं। वे यह [ तो ] मानते हैं कि भारतीयोंको बाहर जानेकी छूट मिलनी चाहिए। इसलिए वे कहते हैं कि भारतीयोंके लिए पूर्व आफ्रिका जैसे देश रखे जायें।[१] विचार करें तो इसका अर्थ यह हुआ कि भारतीयोंको दासताकी अवस्थामें ही रखा जाये, क्योंकि भारतीय यदि पूर्व आफ्रिका जैसे देशोंमें बसेंगे तो वहाँ भी कर्ता-धर्ता तो गोरे ही रहेंगे। यह तो गोरोंके शिक्षण प्राप्त करने और उन्नति करनेके लिए एक नया क्षेत्र खोलनेके समान होगा। फिर, केवल भारतीय ही बसें और नये देशोंको वर्तमान विचारोंके अनुसार आबाद करें, इतनी शक्ति उनमें नहीं है। इसलिए केवल भारतीय लोगोंके लिए ही देश पृथक् करनेका विचार बिलकुल व्यर्थ है। इसके अतिरिक्त लॉर्ड सेल्बोर्नके भाषणका अर्थ यह हुआ कि जिस देशमें गोरोंके बसने लायक अच्छी जलवायु हो उस देशमें भारतीयोंको न बसने दिया जाये। यानी भारतीयोंके लिए रोगकारक, गर्म और मलेरिया-ग्रस्त देश रखे जायें। भारतीय उनमें सड़ते रहें, इसमें लॉर्ड सेल्बोर्न तनिक भी हस्तक्षेप करना नहीं चाहते।

हम लॉर्ड सेल्बोर्नके इस भाषणको स्वार्थपूर्ण और भयंकर मानते हैं। उनके विचारोंके अनुसार चला जाये तो दक्षिण आफ्रिकामें अन्तमें एक भी भारतीय न रहेगा। वे महानुभाव यह मानते हैं कि पूर्व और पश्चिम कभी इकट्ठे नहीं हो सकते। उनकी यह मान्यता ठीक हो तो भारत अंग्रेजोंके अधीन केवल दासके रूपमें ही रह सकता है। उसके लिए अन्य मार्ग तो रहा ही नहीं। हम इस विचारको नहीं मानते। यदि हमें यह निश्चय हो जाये कि अंग्रेज लोगों का ऐसा विचार है और उससे मुक्त होनेका मार्ग नहीं है, तो अंग्रेजी राज्यके विरुद्ध झंडा उठाना ही पड़ेगा। और भारतको अंग्रेजोंके शासनसे सर्वथा मुक्त करनेका उपाय करना होगा और बताना होगा। हम मानते हैं कि हम अंग्रेजी झंडा कायम रखकर भी स्वतन्त्रतासे रह सकते हैं। बोअरोंके ऊपर अंग्रेजी झंडा है, फिर भी उनकी स्वतन्त्रतामें कमी नहीं है।

तब लॉर्ड सेल्बोर्नके विचारोंके विरुद्ध क्या उपाय किये जायें, यह विचारणीय है। हम मानते हैं कि इसका उपाय हमारे हाथमें है। दुनियामें नियम यह दिखाई देता है कि हम जो चाहते हैं और जिसके योग्य होते हैं वहीं हमें मिलता है। हम यदि दुनियाके विभिन्न

 
  1. लॉयनेल कर्टिसने भी १९०६ में ऐसा सुझाव दिया था; देखिए खण्ड ६, पृष्ठ ४६८-९।