पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/२१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



९२. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सीमान्तमें चोरी

अफवाह है कि ट्रान्सवालकी सीमापर चारों तरफसे भारतीय बिना अनुमतिपत्रके दाखिल हो रहे हैं। यदि भारतीय इस प्रकार गलत तरीकेसे ट्रान्सवालमें आ रहे हैं तो उन्हें तथा अन्य भारतीयोंको अन्ततोगत्वा परेशान होना पड़ेगा, यह बिलकुल स्पष्ट है। इसलिए चोरीसे आनेकी इच्छा करनेवाले भारतीयोंको बहुत विचार करना चाहिए। यदि पहले चोरी बिलकुल न होती, तो एशियाई कानून न बनता। यदि अब भी चोरी होती रही, तो फिर कानून बने बिना नहीं रहेगा। किन्तु नेतागण इसमें शामिल नहीं हैं। वे सरकारको किसी भी प्रकार दगा नहीं देना चाहते। इसलिए कार्यकारी प्रमुख श्री कुवाड़ियाने सरकारको निम्नानुसार लिखा है:

मेरे संघको खबर मिली है कि कुछ एशियाई बिना अनुमतिपत्रके ट्रान्सवालमें दाखिल हो रहे हैं। कुछ तो चलकर आते हैं। मेरे संघको नहीं मालूम कि सीमापर किस तरह की जाँच की जा रही है। किन्तु मेरे संघका विचार सरकारको मदद करने और चोरीसे आनेवाले आदमियों को रोकनेका है। अतएव मेरे संघका सुझाव है कि सीमापर और रेलगाड़ियोंपर ठीकसे चौकसी रखी जानी चाहिए। मेरे संघकी यह भी मान्यता है कि लोगोंको बिना नुकसान पहुँचाये यह किया जा सकता है। जो बिना अनुमतिपत्रके और बिना अधिकारके ट्रान्सवालमें घुस आते हैं उनके ऊपर मुकदमा चलाया जा सकता है। समझौतेमें इससे कोई बाधा नहीं पड़ती। मेरे संघकी मान्यता है कि उनपर प्रवासी कानूनके अनुसार मुकदमा चल सकता है।

एशियाई बाजार

क्लार्क्सडॉर्पके व्यापार-संघने प्रस्ताव किया है कि एशियाई लोगोंको बस्तियोंमें भेज दिया जाये और उनका व्यापार भी वहीं तक सीमित कर दिया जाये। इस प्रस्तावकों और मजबूत बनानेके लिए इस संघने पॉचेफ्स्ट्रूमके संघको लिखा। पाँचेफ्स्ट्रमके संघने उक्त प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया और सूचित किया कि हरजाना दिये बिना उन्हें बस्तियोंमें नहीं भेजा जा सकता; और इसलिए उक्त संघने सरकारके पास ऐसा पत्र भेजनेसे इनकार कर दिया है।

काले लोग और शराब

एशियाई तथा अन्य काले लोगोंको शराबकी छूट मिल सके, इसके लिए प्रिटोरियामें आन्दोलन किया जा रहा है। अखबारोंके अनुसार श्री कासिम नामक कोई सज्जन हैं, जो इस हलचलमें बड़ा भाग ले रहे हैं। प्रिटोरियामें इस बातको लेकर सभाएँ भी हुई हैं। एक प्रार्थनापत्र तैयार किया गया है जो ट्रान्सवालकी संसदको भेजा जायेगा। उसमें कहा गया है कि शराब-बन्दी होनेपर भी काले आदमी शराब प्राप्त कर लेते हैं और उसमें गोरे उन्हें बहुत लूटते हैं। काले आदमी चोरीसे दारू पीते ही हैं तो फिर उन्हें प्रकट रूपसे पीने देने में ही सार है।