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सम्पूर्ण गांधी वाड़्मय

वे वकालत करनके लिए प्रार्थनापत्र देनेके अधिकारी हो गये हैं। सर्वोच्च न्यायालयाने गत सोमवारको वह प्रार्थनापत्र लिया और उसे स्वीकृत किया।

परवाने

जिन भारतीयोंने परवाने नहीं लिये हैं उन्हें [इस बारेमें] बहुत जल्दी करना चाहिए। जिनके पास नया पंजीयन है वे उसे दिखाकर समूचे वर्षके लिये परवाना प्राप्त कर सकते हैं। जिन्होंने पंजीयन नहीं कराया है उन्हें परवाना ३० जून तक का मिलेगा। किन्तु इसके लिए प्रार्थनापत्र इस महीनेकी ३० तारीख तक दे देना चाहिए। जो प्रार्थनापत्र नहीं देंगे उनके ऊपर मईके महोनेमें मुकदमा चलने की सम्भावना है। इसलिए प्रत्येक भारतीयको शीघ्र परवाना ले लेना चाहिए।

पंजीयन

तारीख ८ तक जो प्रार्थनापत्र दिये गये उनकी कुल संख्या ७,६०७ है और उस दिन तक दिये गये प्रमाणपत्रोंको संख्या ४,५९० है। इन दिनों वार्मबाथ्स तथा लोडेनबर्गमें प्रार्थनापत्र लिये जा रहे हैं। बिनोनीमें तारीख १३, १४, और १५को, फोक्सरस्टमें तारीख १३, १४को; पाँचेफ्स्ट्रूममें तारीख १६, १७ और १८; को तथा क्रूगर्सडॉर्पमें तारीख १६, १७ और १८को प्रार्थनापत्र लिये जायेंगे।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-४-१९०८

९३. एक सत्यवीरकी कथा [२]

"हे एथेन्सके लोगो! मेरे अभियोक्ताओंके भाषणसे आप लोग कितने भ्रमित हुए हैं, इसका मुझे ज्ञान नहीं है। उनका वक्तव्य ऐसा चातुर्यपूर्ण और सत्य दिखाई देता था कि मुझे स्वयं अपना भान नहीं रहा। फिर भी मैं कहता हूँ कि उन्होंने जो कुछ कहा है वह असत्य है। उनके बहुतसे असत्योंमें से एक तो मुझे बहुत ही आश्चर्यजनक लगा। उन्होंने आपसे कहा है कि आप मेरे चातुर्यपूर्ण भाषणसे भ्रमित न हो जायें। चातुर्यका उपयोग तो वे ही करते हैं। मुझे चातुर्य आता ही नहीं। किन्तु यदि वे सत्यको चातुर्य कहते हों तो वह मुझमें है, यह मैं स्वीकार करता हूँ। किन्तु यदि वे मुझे सत्यवादीके रूपमें स्वीकार करें तो वे जिसे चतुर कहते हैं, वैसा चतुरमें नहीं हूँ। कारण, यद्यपि उन्होंने बड़ा प्रभावशाली भाषण दिया है; फिर भी उनके भाषणमें सत्य कुछ नहीं है। मैं तो आपके सम्मुख जो सत्य है, उसको ही उसके पूर्ण रूपमें प्रस्तुत करनेवाला हूँ। मैं आपके सम्मुख कोई तैयार भाषण नहीं लाया हूँ। मैं बूढ़ा हूँ। मुझे आपके सामने चातुर्य या प्रभावका प्रयोग नहीं करना है। इसलिए मैं आपके सम्मुख सदा जिस सादे ढंगसे बोलता रहा हूँ वैसे ही सादे ढंग से बोलूँ तो आप आश्चर्य न करें। मैं अब सत्तर वर्ष से अधिकका हो गया हूँ। इसमें मुझे न्यायालयका अनुभव आज पहली बार ही हो रहा है। इस कारण मैं न्यायालयके शिष्टाचार और न्यायालयको भाषासे अपरिचित हूँ। इसलिए आप मेरे शब्दोंका खयाल न करें।