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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सु०--आपकी बातको कौन मानेगा? आप मुझपर जो आरोप लगाते हैं उसको कोई नहीं मान सकता। क्योंकि यदि मैं यह सिखाने लगूँ तो सभी कह सकते हैं कि यह तो कोई नई शिक्षा नहीं है। यह तो अन्य लोग भी कहते आये हैं।<ref>1 इसके अतिरिक्त मैंने उनका कहना नहीं माना है। किन्तु यदि आप मुझपर सूर्य और चन्द्रमाके सम्बन्धमें ऐसा आरोप लगाते हैं तो आप यह भी कहेंगे कि मैं यह भी नहीं मानता कि ईश्वर है।

मे०--मैं निश्चित रूपसे कहता हूँ कि आप ईश्वरके अस्तित्वसे इनकार करते हैं।

सु०--तब तो आप जान-बूझकर ऐसी बात करते हैं जो सम्भव नहीं है। ईश्वर नहीं है, यह मैं कसे कह सकता हूँ? कौन यह कह सकता है कि मनुष्यसे सम्बन्धित वस्तुएँ हैं, किन्तु मनुष्यका अपना अस्तित्व नहीं है; अथवा घोड़ोंसे सम्बन्धित वस्तुएँ हैं, किन्तु घोड़े नहीं होते या देवदूतोंसे सम्बन्धित वस्तुएँ हैं, किन्तु देवदूत नहीं?

मे०--जिनसे सम्बन्धित वस्तुएँ होती हैं उनका अस्तित्व होता है।

सु०--आप मानते हैं कि मैं देवताओंसे सम्बन्धित बात करता हूँ, इसलिए आपको यह मानना ही चाहिए कि मैं देवताओंका अस्तित्व स्वीकार करता हूँ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १८-४-१९०८

१०३. मिस्रके प्रख्यात नेता [४]

मुस्तफा कामेल पाशा द्वारा स्थापित राष्ट्रवादी (नेशनलिस्ट) दलकी कुछ जानकारी इस प्रकार है:

राष्ट्रवादी दलकी स्थापनाके लिए इस दलके करीब एक हजार सदस्योंकी एक विशाल सभा पिछले दिसम्बर महीनेमें हुई थी। इस सभामें जो प्रस्ताव पास हुए थे, उनमें से पहला प्रस्ताव यह था कि मुस्तफा कामेल पाशा आजीवन इस दलके नेता रहेंगे। उनकी मृत्युके बाद १० दिनके अन्दर एक सभा बुलाई जायेगी और नया नेता चुना जायेगा। राष्ट्रवादी दलके सदस्योंका एक सम्मेलन हर साल किया जायेगा जिसमें दलकी कार्यकारिणी समिति चुनी जायेगी। कार्यकारिणीमें से ८ सदस्योंकी एक उपसमिति बनेगी, जिसकी बैठक हर हफ्ते हुआ करेगी।

समाचारपत्रों और भाषणों द्वारा इस दलके विचारोंका प्रचार नील नदीके सारे प्रदेशमें हुआ है। दलके धनाढ्य सदस्योंने अपने खर्चसे कुछ स्कूल खोले हैं। इन स्कूलोंके द्वारा दलके सिद्धान्तोंका प्रचार लगातार अधिकाधिक हो रहा है। इस दलका उद्देश्य मिस्रमें संसदकी स्थापना करना है। यह उद्देश्य सिद्ध होने तक दलका सम्मेलन हर साल होता रहेगा और वह लोगोंका उद्धार करनेके लिए और उन्हें इस योग्य बनानेके लिए कि वे अपने अधिकारोंकी रक्षा स्वयं कर सकें, जो कुछ बनेगा सो करेगा।

राष्ट्रवादी दलके प्रयत्नोंमें ब्रिटिश सरकार आड़े नहीं आ सकती; क्योंकि यह दल अपना काम बुद्धिपूर्वक करता है और किसी भी प्रकारके हिंसक आचरणकी कोई उत्तेजना नहीं देता।