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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

२. अनगढ़ सोनेके धंधेका मूल कानून जारी रखनेसे यह मान्यता प्रकट होती है कि रंगदार लोग—जो इस कानूनकी सामान्य निषेध-सीमामें होते हुए भी अब इससे विशेष रूपसे प्रभावित होते हैं--कच्चे सोनेका धन्धा करनेमें ज्यादा बड़े गुनहगार हैं। परन्तु मेरे संघकी राय में, जहाँतक ब्रिटिश भारतीयोंका सवाल है, सत्य इससे ठीक उलटा है।

३. इसके अतिरिक्त अनगढ़ सोनेकी जो व्याख्या की गई है वह शायद भारतीय सुनारोंके इंग्लैंडमें बनी और वहाँसे आयात की हुई सोनेकी छड़ों तक से गहने आदि बनानेके धन्धेपर रोक लगानेवाली है। यह तो आसानी से मान ली जाने लायक बात है कि इससे सम्बन्धित सुनारोंके लिए एक भारी कठिनाई पैदा होती है।

४. इस मसविदेका खण्ड १२७, मैं निवेदन करना चाहता हूँ, कुछ अस्पष्ट है; और अपने अन्तर्गत रंगदार व्यक्तियोंके द्वारा किसी भी प्रकारके अधिकारोंकी प्राप्तिका सम्पूर्ण निषेध करता जान पड़ता है। इसी खण्ड के अन्तर्गत इस मसविदेके प्रकाशनके पहले उपार्जित अधिकारोंके स्वामियोंको अपने अधिकार रंगदार व्यक्तिको हस्तान्तरित करने या शिकमी तौरपर देनेसे मना किया गया है। यह बात इस कानूनके प्रभावको पहलेसे लागू करती है।

५. अन्तमें, खण्ड १२८ में, अमुक घोषित क्षेत्रोंमें रहनेवाले रंगदार व्यक्तियोंको वहाँसे हटाकर बिलकुल अलग बसानेकी बात कही गई है। यदि यह खण्ड पास हो गया तो ब्रिटिश भारतीयोंमें से अधिकतरके लिए इस देशमें रहना भी असम्भव हो जायेगा।

इस सम्बन्धमें, मेरी समिति आदरपूर्वक सरकारको यह याद दिलाना चाहती है कि मेरा संघ एक ऐसी कौमका प्रतिनिधित्व करता है जो मानव-परिवारकी एक सुसंस्कृत शाखासे उत्पन्न होनेका दावा करती है, और जिसके व्यापारिक तथा दूसरे हित इतने बड़े हैं कि उसे अलग बस्तियोंमें बसाने का मतलब उसकी सम्पूर्ण बरबादी होगा; क्योंकि उस हालतमें वह बाजारों, बस्तियों और बाड़ोंमें अपने उन हितोंको बचानेमें सर्वथा असमर्थ हो जायेगी। मेरी समिति सरकारको इस बातकी याद भी दिलाना चाहती है कि ट्रान्सवालमें बसे हुए ब्रिटिश भारतीयोंका अधिकांश खानोंके क्षेत्रोंमें रहता है।

इसलिए मेरी समिति सरकारके प्रति आदरकी भावना रखते हुए यह विश्वास करती है कि कानूनकी जिन धाराओंके खिलाफ यहाँ शिकायत की गई है उन्हें सरकार या तो वापस ले लेगी या उनमें ऐसा सुधार कर देगी कि ट्रान्सवालमें रहनेवाले भारतीय समाजको इच्छित राहत मिल जाये।

आपका, आदि
ईसप इस्माइल मियाँ
अध्यक्ष
ब्रिटिश भारतीय संघ

[ अंग्रेजीसे ]

प्रिटोरिया आर्काइव्ज; कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स २९१/१३२ भी।