पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/२३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१०६. लोबिटो-बेके भारतीय मजदूर

इन पीड़ित भारतीयोंके सम्बन्धमें हम गत सप्ताह लिख चुके हैं।[१] कांग्रेसके नेताओंने इस सम्बन्धमें आन्दोलन किया और [उनसे] मुलाकात की, इसके लिए हम उनकी प्रशंसा करते हैं। इन लोगों के खाने-पीनेकी व्यवस्था ठीक थी, यह जानकर सन्तोष होना चाहिए। दुःख केवल यही है कि इन गरीब लोगोंको भारत जाना पड़ा है। हम मानते हैं कि जल्दी कार्रवाई की गई होती तो इन गरीब लोगोंका नेटालमें रहना सम्भव हो सकता था।

अब हमारी दृष्टिमें एक उपाय आता है—नेटाल सरकारसे पूछा जाये कि उसने इन लोगोंको भारतमें किस तरह उतारनेका प्रबन्ध किया है, इसके साथ ही दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिको तार दिया जाना चाहिए कि वह पूछताछ करे कि ब्रिटिश सरकार इस सम्बन्धमें क्या कार्रवाई करनेवाली है। यदि भारतमें उनकी कुछ भी व्यवस्था होगी तो उनको राहत मिलेगी, और इससे समस्त जातिका हित होगा। जिन लोगों में बोलनेकी--कृतज्ञता प्रकट करनेकी--शक्ति नहीं है, उनकी सहायता जो पहले करें उन्हींको इस संसारमें कृतार्थं मानना चाहिए। यह नियम जैसे व्यक्तियोंपर लागू होता है वैसे ही संस्थाओंपर भी लागू होता है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २५-४-१९०८

१०७. नेटालके खेत मालिक

नेटालके गोरे खेत-मालिकोंमें गिरमिटके अन्तर्गत भारतीयोंका आना बन्द करनेके सम्बन्धमें बहुत चर्चा चल रही है। डर्बनमें बहुत-से गोरे गिरमिटके अन्तर्गत भारतीयोंको लानेके विरुद्ध हैं, इससे गोरे खेत-मालिक घबरा रहे हैं। उन्होंने अपनी सभामें यह प्रस्ताव पास किया है कि जबतक काफिर लोग काम न करने लगें तबतक भारतीय मजदूरोंका आना बन्द नहीं करना चाहिए। इस प्रकारकी खींचतानमें नेटालकी सरकार क्या करती है, यह देखनेकी बात है। हमें सावधानी यह रखनी है कि डर्बनके गोरे व्यापारी-रूपी भैंसे और उक्त गोरे खेत-मालिक-रूपी भैंसेकी लड़ाईमें भारतीय समाजरूपी वृक्षका उन्मूलन न हो जाये।

इस सभामें भी एक खेत-मालिकने कहा कि डर्बनके गोरोंका द्वेष कोई गिरमिटियों से नहीं है। वे तो केवल भारतीय व्यापारियोंको रोकना चाहते हैं। किन्तु उन्हें गिरमिटियों और व्यापारियोंके बीच का भेद नहीं दिखता। ऐसी बातोंसे प्रकट होता है कि गोरे खेत-मालिक भारतीय मजदूरोंको इसलिए नहीं चाहते कि वे उनसे प्रेम करते हैं। उनका सम्बन्ध केवल स्वार्थजनित है। अपने समान स्वार्थोकी सिद्धिके प्रयत्नमें गोरे व्यापारी और गोरे खेत मालिक,

 
  1. देखिए "नेटाल कांग्रेसका कर्तव्य", पृष्ठ १८६ और खण्ड ६, पृष्ठ ४०३, खण्ड ७, पृष्ठ १११।