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११२. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

स्वर्ण-कानून

स्वर्ण-कानूनके विषयमें संघकी ओरसे उपनिवेश-सचिवके नाम निम्नानुसार पत्र[१] भेजा गया है:

संसदकी आगामी बैठकमें सोनेके कानूनका विधेयक पेश किया जायेगा। इसलिए परिस्थिति यह है कि पहलेसे ही उस कानूनको लेकर भारतीयोंपर बहुत अत्याचार किया जाने लगा है। मेरी समितिको आशा थी और उसे अब भी ऐसी आशा है कि इस सम्बन्धमें भारतीय समाजकी परेशानियां बढ़नेके बजाय घटेंगी। मेरी समिति निम्नलिखित बातोंपर सरकारका ध्यान विशेष रूपसे आकर्षित करना चाहती है:

प्रस्तुत विधेयकके मसविदेमें 'रंगदार' शब्दकी व्याख्यामें 'कुली' शब्दका समावेश किया गया है। यह शब्द ट्रान्सवालके भारतीय समाजकी भावनाको दुखानेवाला है, क्योंकि ट्रान्सवालके भारतीय समाजमें जो लोग 'कुली' कहे जाते हैं शायद उनकी संख्या कम ही होगी। इसके सिवाय काफिरों और एशियाइयोंको तथा ब्रिटिश प्रजा और परकीय प्रजाको एक वर्गमें रखनेका यह अर्थ है कि भारतीयोंके ब्रिटिश प्रजा होनेकी बात भुला दी जाती है।

रंगदार लोगोंपर नये कानूनकी धाराएँ लागू होनेके साथ पुराने कानूनकी कच्चे सोनेसे सम्बन्धित धाराएँ भी लागू की जाती हैं। इसका यह अर्थ हुआ कि कच्चे सोनेके मामलेमें रंगदार समाज बड़ा कसूरवार है। किन्तु इस मामलेमें मेरे संघके विचारानुसार तथ्य उलटे हैं, क्योंकि भारतीयोंके बारेमें तो ऐसा नहीं कहा जा सकता।

'कच्चा सोना' शब्दकी व्याख्या भी सदोष हो सकती है। उसका ऐसा अर्थ भी निकाला जा सकता है जिससे भारतीय सुनारों द्वारा विलायतकी बनी और वहाँसे आई हुई सोनेकी छड़ोंसे गहने बनानेपर रोकटोक की जा सकती है।

मसविदेके खण्ड १२७ का अर्थ स्पष्ट नहीं है। ऐसा जान पड़ता है कि कानूनका मंशा उस खण्डके द्वारा रंगदार लोगोंको किसी भी अधिकारकी प्राप्तिसे रोकनेका है। यह सूचना भी उस खण्डमें शामिल हैं कि नया नियम बननेके पहले जिन्हें कोई अधिकार प्राप्त हो चुका है ऐसे लोग अपना अधिकार अथवा उसका कोई भाग रंगदार लोगोंको नहीं दे सकते। कानून जिस दिन बन चुकता है उसी दिनसे लागू हुआ करता है; किन्तु ऊपरके खण्डके द्वारा यह कानून तो पास होनेके पहले ही लागू किया जा रहा है।

अन्तमें खण्ड १२८ में कहा गया है कि स्वर्ण-कानूनके द्वारा खानोंकी जो सीमा निश्चित की गई हो, उससे रंगदार लोगोंको हटाकर बस्तियोंमें रखा जाये। संघ इसका विरोध करता है। यदि वह खण्ड स्वीकृत हो गया, तो बहुत-से भारतीय शहरोंमें रह ही नहीं सकेंगे। इस बारेमें मेरी समिति सरकारको याद दिलाती है कि भारतीय

 
  1. देखिए "पत्र: उपनिवेश सचिवको", पृष्ठ १९३-९४।