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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यदि इतना हुआ तो हम निर्भय होकर कह सकते हैं कि परवाना कानून रद कर दिया जायेगा अथवा उसमें उचित फेरफार होगा।

एस्टकोर्टके मामलेको[१] हम मजबूत मानते हैं। स्टैंगरमें श्री काजीका मुकदमा[२] भी वैसा ही है। हम यह मानते हैं कि इन मामलोंको लेकर पूरी तरह लड़ाई लड़ी जा सकती है। किन्तु उसके लिए त्याग करना पड़ेगा। हमने जो चूड़ियाँ पहन रखी हैं, उन्हें चूर-चूर करना होगा, और मर्दानगीसे कमर कसनी पड़ेगी। नेटालके लोग यह काम करेंगे? जैसी करनी वैसी भरनी। इसपर अधिक विचार फिर करेंगे। तबतक हम भारतके हितैषियोंको सलाह देते हैं कि इन बातोंपर अच्छी तरह विचार करें।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २-५-१९०८

११५. भारतीयोंमें शिक्षा

प्रसन्नता की बात है कि भारतीय समाजमें शिक्षाके प्रति उत्साह बढ़ता दिखाई दे रहा है। इस बार यह सूचित करते हुए हमें खुशी तो होती है कि श्री हसन मियाँकी[३] तरह विलायत जानेके लिए एक और तरुण तैयार हुआ है; किन्तु हम माता-पिताओंको सावधान करना चाहते हैं कि सारे भारतीयोंको बैरिस्टर या वकील बनानेमें लाभ नहीं समझना चाहिए। अनेक धन्धे हैं और भारतीय समाजके अलग-अलग तरुणोंको उन सारे धन्धोंमें कुशल होना चाहिए। बैरिस्टर बहुत हो गये हैं। हम हुनर और फनपर बहुत कम ध्यान देते हैं। हमारी समझमें इस ओर ध्यान देनेकी बड़ी ही आवश्यकता है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २-५-१९०८

११६. डेलागोआ-बेमें गिरमिटिया

डेलागोआ-बे और मोज़ाम्बिक प्रान्तके अन्य भागोंमें भारतीय गिरमिटियोंको बुलवानेका प्रयत्न किया जा रहा है। इस प्रयत्नका विरोध बहुत जरूरी है। डेलागोआ बेके भारतीयोंको जाग्रत रहना चाहिए, नहीं तो सम्भव है, वहाँ भारतीयोंकी हालत बहुत खराब हो जाये। डेलागोआ -बेमें एक ऐसी संस्थाकी जरूरत है जो ऐसे कामोंको करनेमें समर्थ होने के साथ-साथ उन्हें करे भी।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २-५-१९०८
 
  1. देखिए "एस्टकोर्टके परवाने, पृष्ठ १३२-३३।
  2. देखिए "नेटालमें परवाने", पृष्ठ ८४-८५।
  3. देखिए "हसन मियाँकी विदाई", पृष्ठ १६४।