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११७. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सावधान नर सदा सुखी

उपर्युक्त कहावत भारतीयोंपर बहुत लागू होती है। व्यापार-संघकी एक बैठकमें यह प्रस्ताव पेश किया गया कि भारतीयोंको दक्षिण आफ्रिकासे निकालकर पूर्व आफ्रिकाके उस भागमें भेज दिया जाये जो गोरोंके बसने योग्य नहीं है। थोड़ी-बहुत बहसके बाद बात जहाँकी तहाँ रह गई। किन्तु ऐसी बातें सदा उठती रहती हैं; इसलिए हमको खूब होशियार रहना चाहिए। विलायतके कुछ अखबार भी ऐसी बातोंसे भ्रमित होते रहते हैं। हमें उन्हें भी समझाना चाहिए। मैं देखता हूँ कि श्री रिच इस ओर बहुत सावधान हैं। किसी भी अखबारमें ऐसी बात प्रकाशित होनेपर वे उसे यों ही नहीं जाने देते।

यह ठीक है

एक डर्बन निवासी भारतीय सूचित करते हैं कि ब्रिटिश भारतीय संघके हिसाबमें नेटालकी ओरसे ५० पौंडकी रकम देखनेमें आती है। बाहर रहनेवाले लोग उसका ऐसा अर्थ कर सकते हैं कि नेटालकी ओरसे केवल ५० पौंडकी मदद ही मिली है। यह नेटालके लिए नामूसीकी बात होगी। वहीं सज्जन आगे चलकर कहते हैं कि नेटालसे ब्रिटिश भारतीय समितिको बादमें २५० पौंड भेजे गये थे, यह बात भी ध्यानमें रहनी चाहिए और इसे प्रकट करना चाहिए। यह ठीक बात है। सत्याग्रहके लिए भी नेटालने अपार मदद की। यह कैसे भुलाया जा सकता है कि उसने समितिको पैसा भेजा और उसके बाद तारों आदिमें पानीकी तरह धन खर्च किया?

पंजीयन

स्वेच्छया पंजीयनका काम अभी चल रहा है। क्रूगर्सडॉर्प और स्टैंडर्टनमें कुछ झंझट पैदा हो गई है। वहाँ दस अँगुलियोंकी छाप माँगते हैं, जिससे लोग क्षुब्ध हो उठे हैं। क्षुब्ध होनेकी कोई बात नहीं है। जो व्यक्ति कारण बताकर दस अँगुलियोंकी छाप देनेसे मुक्त होना चाहते हैं, वे हो सकते हैं। इसके कारण वे आपत्तिमें नहीं पड़ेंगे। इसलिए इस बारेमें तो निश्चिन्त रहना है। कोई ऐसा न समझे कि कारण बताये बगैर और अँगुलियोंकी छाप दिये बिना काम चल जायेगा। धर्म, शिक्षा अथवा सम्पन्नता---कोई कारण बताना ही चाहिए।

इसके सिवा कुछ तो दो अँगूठोंकी छाप देनेमें भी आनाकानी करते हैं। यह ठीक बात नहीं है। अँगूठोंकी छाप माँगी जाये, तो मेरी मान्यता है कि देनी चाहिए। जो वाजिबी तौरपर दस अँगुलियोंपर आपत्ति उठाते हों, उन्हें मैं सावधान रहने की सलाह देता हूँ।

गार फेरीवालोंका अधिकार

जस्टिनमें एक गोरा फेरीवाला रहता था और फेरी लगाता था। जर्मिस्टनके उपनियमके मुताबिक कोई भी गोरा उस बस्तीमें न रह सकता है और न फेरी लगा सकता है। उक्त गोरेने इस धाराका विरोध किया। मामला न्यायाधीशके सामने पेश हुआ। न्याया-

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