पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/२५४

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१२५. हमीद गुल

जान पड़ता है केपटाउनके श्री यूसुफ गुलके पुत्र श्री हमीद गुलने, जो कुछ दिनोंसे विलायतमें चिकित्साशास्त्रका अध्ययन कर रहे हैं, अपने समयका बहुत अच्छा उपयोग किया है। श्री हमीद गुलके हलके पत्रोंसे ज्ञात होता है कि उन्होंने अपनी परीक्षामें सम्मानित स्थान प्राप्त किया है और उन्हें १० पौंड पारितोषिक दिया गया है। हम गुल महोदयोंको बधाई देते हैं।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ९-५-१९०८

१२६. डेलागोआ-बेमें पंजीयन जारी करनेका सुझाव[१]

हमें खबर मिली है कि मोजाम्बिकके पोर्तुगीज इलाकेमें एशियाइयोंसे सम्बन्धित जो अस्थायी विनियम प्रकाशित किये गये थे, उन्हें पोर्तुगीज सरकारने वापस ले लिया है। ऐसा भी अनुमान है कि एशियाइयोंका पंजीयन करनेके इरादेसे एक नया कानून पेश किया जायेगा, जिसमें वार्षिक शुल्क लेनेकी बात भी रखी जायेगी। जैसे हम पहले कई बार कह चुके हैं, उसी तरह हम फिर डेलागोआ-बेके भारतीयोंको सावधान रहनेकी चेतावनी देते हैं।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ९-५-१९०८

१२७. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

पंजीयन

यह स्वेच्छया पंजीयनका आखिरी हफ्ता है। ९ तारीखके पहले जिन्हें अर्जी देनी थी वे दे चुके होंगे। इसके बाद प्रार्थनापत्रोंके स्वीकार किये जानेकी सम्भावना नहीं है। जान पड़ता है कि पंजीयन अधिकारीने ऐसी सूचना हर जगह भेज भी दी है। इसलिए जो भारतीय अपनेको अधिकारी मानते हों उन्हें तुरन्त प्रार्थनापत्र दे देना चाहिए। यह अखबार ट्रान्सवालके पाठकों के हाथमें तो शायद सोमवार तक ही पहुँचेगा। तबतक अवधि बीत चुकेगी; किन्तु सच पूछिए तो सोमवारको अन्तिम दिन माना जा सकता है, ऐसा सोचकर मैं यह चेतावनी दे रहा हूँ।

पंजीयनके लिए प्रार्थनापत्रोंकी संख्या लगभग ८,७०० हो चुकी है और उनपर ६,००० से अधिक प्रमाणपत्र दिये जा चुके हैं। शेष अर्जियोंकी जाँच अभी जारी है। अनुमान है

 
  1. देखिए खण्ड ७, पृष्ठ ४४७ और ४५० और "डेलागोआ-बेके भारतीय", पृष्ठ १८५।