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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

कि ये अर्जियाँ बच्चोंकी, डचोंके समयमें जिन्हें पंजीयन प्रमाणपत्र मिल चुके थे उनकी, तथा जिनके अँगूठोंके विषयमें सन्देह है, ऐसे लोगोंकी होंगी। डच पंजीयन प्रमाणपत्रवालोंके मामले संदिग्ध अँगूठेवालोंकी संख्यापर निर्भर होंगे। इन शेष २,००० लोगोंमें अभी ऐसे बहुत-से अनुमतिपत्रवाले हैं जो सबूत दे सकते हैं। एक-दो हफ्तोंमें अधिक समाचार मिलने की सम्भावना है।

अन्तर-औपनिवेशिक सम्मेलन

इस नामसे दक्षिण आफ्रिकाके सभी उपनिवेशोंका सम्मेलन आजकल प्रिटोरियामें हो रहा है। नेटालके मन्त्री श्री मूअर उसके अध्यक्ष हैं।[१]सम्मेलनमें विचारार्थ उपस्थित प्रश्नोंमें एशियाइयोंके प्रश्न भी शामिल हैं। वहाँ इस प्रश्नपर बहुत चर्चा होनेकी सम्भावना है। सुना गया है कि सम्मेलनकी कार्यवाही गुप्त रखी जायेगी।

इस अन्तर-औपनिवेशिक परिषदमें एक बहुत महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पास हुआ है। प्रस्ताव श्री स्मट्सने पेश किया था और उसका समर्थन किया था श्री मेरीमैनने[२]। इसमें कहा गया है कि सब उपनिवेशोंको एक करनेकी दिशामें सभी उपनिवेशोंको प्रयत्न करना चाहिए। इसपर टिप्पणी करते हुए प्रगतिशील पत्रोंने लिखा है कि चूँकि उपनिवेशोंमें डच लोगोंका प्रभुत्व है--विशेषतः ऑरेंज रिवर कालोनी, ट्रान्सवाल और केपमें उनकी सत्ता है--इसलिए एक होनेकी बात करनेमें उन्होंने लाभ देखा है। ऐसा करनेमें उनका मंशा यह है कि अंग्रेजोंका जोर कम हो जाये।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ९-५-१९०८
 
  1. नेटालके प्रधानमंत्री
  2. परममाननीय जॉन जेवियर मैरीमैन (१८४१-१९२६); प्रिवीकौंसिलके सदस्य, सर्वेक्षक और फार्ममालिक; केप संसद के सदस्य; माल्टिनी मन्त्रि-मण्डलके मन्त्री १८७५-७८; प्रधान मन्त्री और प्रधान कोषाध्यक्ष १९०८-१०; संघ-विधानसभाके सदस्य १९१०-१९, इंडियन ओपिनियनमें, "भारतीयोंके प्रति न्यायके सतत समर्थक" के रूपमें उल्लेख।