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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी



नगरपालिका विधेयक

नगरपालिकाका कच्चा विधेयक 'गजट' में प्रकाशित हुआ है। उस विधेयकके मुताबिक नगरपालिकाको नीचे लिखे अनुसार सत्ता प्राप्त होती है:

१. एशियाइयोंके लिए बस्ती बनाना, और उनके लिए जो जगह आवश्यक समझी जाये उनका वहाँ तबादला करना। यदि ऐसे तबादले हों तो मकानकी क्षतिका मुआवजा देना है।

२. नगरपालिका जो परवाना देती है उसे वैसा परवाना देने अथवा न देनेका अधिकार मिले। यदि वह परवानेको अस्वीकृत कर दे, तो प्रार्थी मजिस्ट्रेटके सामने अपील कर सके। मकान खराब हो अथवा प्रार्थीने पहले [ तीन सालके भीतर तीन बार ][१] अपराध किया हो, तो उसका परवाना बन्द किया जा सके।

३. फेरीवालोंको परवाना दिया जाये या नहीं, यह केवल नगरपालिकाकी मर्जीपर निर्भर हो और यदि नगरपालिका अस्वीकार कर दे, तो उसके विरुद्ध अपील न हो सके। इसका यह अर्थ हुआ कि फेरीवालोंको नगरपालिकापर निर्भर रहना पड़ेगा।

४. पैदल पटरीपर चलनेकी मनाही करनेकी धारा बनानेकी छूट भी हो।

इसका यह अर्थ हुआ कि यदि ऊपरका विधेयक मंजूर हो गया तो ट्रान्सवालसे भारतीयोंके पाँव उखड़ जायेंगे। संघ इस विषयमें प्रार्थना करेगा। आशा है, अगले सप्ताह प्रार्थनापत्रका अनुवाद दिया जा सकेगा।[२]

ईसप मियाँपर सख्त प्रहार

ब्रिटिश भारतीय संघके प्रमुख श्री ईसप मियाँ रविवारके दोपहरको दो बजे बस्तीमें एक भोजमें जा रहे थे, उस समय पीछेसे किसी एक पठानने उनपर लाठीका सख्त वार किया। जब उन्होंने पीछे देखा तो दूसरी लाठी उनके मुँहपर पड़ी। नाककी हड्डी टूट गई और खूनकी धार बह निकली। श्री ईसप मियाँ चक्कर खाकर गिर पड़े। जब श्री मूसा इब्राहीम पटेल तथा श्री काछलिया उस पठानको पकड़ने बढ़े, तब श्री मूसा इब्राहीमपर भी वार किया गया। इस बीच श्री ईसप मियाँने उठकर हमला करनेवालेको पकड़ लिया। तबतक श्री कामा आ पहुँचे। उन्होंने सीटी बजाई और एक सिपाही आया तथा मारनेवालेको पकड़ लिया गया। दूसरे पठान, जिन्होंने अपनेको छुड़ा लिया था, भाग गये।

श्री ईसप मियाँको बहुत कष्ट था। खून बह रहा था, किन्तु फिर भी वे सीधे पुलिस थानेपर गये और वहाँसे डॉक्टर गिलक्रिस्टके पास गये। डॉक्टर गिलक्रिस्टने पट्टी बाँधी। नाककी हड्डी ठीक बैठा दी गई है। आशा है, हड्डी जुड़ जायेगी। पीठपर भी सख्त चोट आई है और सामनेके दाँत हिल गये हैं। लेकिन दाँत चले ही जायेंगे, ऐसा भय नहीं है। श्री ईसप मियाँने बड़ी बहादुरीसे कष्टको सहन किया है। नाकपर चोट लगनेके कारण चेहरेके ऊपरी भागपर पट्टी बँधी है। मुँह खुला हुआ है, इसलिए थोड़ा-बहुत बोल सकते हैं। इतवारको बहुत-से लोग उनकी तबीयतका हाल जानने गये थे।

हमलेके कारणका समझौतेसे सम्बन्ध जान पड़ता है। श्री ईसप मियाँने समझौते में बहुत भाग लिया। कहा जाता है कि इसलिए पठानोंने उन्हें मारनेका निश्चय किया। यह भी

 
  1. विधेयकका मसविदा २३-५-१९०८के इंडियन ओपिनियनमें देखिये।
  2. कदाचित् ऐसा नहीं किया गया।