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१४३. ट्रान्सवाल नगरपालिका एकीकरण अधिनियम

ट्रान्सवाल सरकारने ट्रान्सवालकी नगरपालिकाओंको नियंत्रित करनेवाले एक विधेयकका मसविदा प्रकाशित किया है। जनरल स्मट्सने अभी हाल ही में बुलाई गई एक सभामें किये गये इस वादेको पूरा कर दिया है कि नगरपालिकाओं को एशियाई व्यापारियोंके मामले निपटानेके लिए अधिक सत्ता दी जायेगी। इसका उल्लेख हम अपने पिछले अंकोंमें कर चुके हैं। इस विधेयकमें कुछ खण्ड व्यापारियोंके सम्बन्धमें हैं। एक खण्ड नगरपालिकाओंको गन्दगी, हातोंकी अनुपयुक्तता तथा अन्य ऐसे ही आधारोंपर व्यापारिक परवाने देनेसे इनकार कर देनेका अधिकार देता है। नगरपालिकाओंके फैसलेके विरुद्ध आवासी मजिस्ट्रेटसे अपील की जा सकती है। इस विधेयकका दूसरा खण्ड नगरनिगमोंको, अन्य अधिकारोंके साथ-साथ, फेरीवालोंको परवाने देने-न-देने का अधिकार प्रदान करता है। परवाने देना या न देना सर्वथा नगरपालिकाओंकी मर्जीपर निर्भर होगा और उनके निर्णयके विरुद्ध किसी प्रकारकी अपील न करने दी जायेगी। प्रथम खण्डके विषयमें बहुत आपत्ति नहीं हो सकती। एशियाइयोंके विरुद्ध जो विद्वेष फैला हुआ है उन्हें उसका परिणाम भुगतना ही पड़ेगा। अलबत्ता वे उसके विरोधमें मजिस्ट्रेटसे अपील कर सकते हैं। परन्तु दूसरा खण्ड, जो एशियाई फेरीवालोंकी एक बड़ी संख्यासे सम्बन्धित है, सर्वथा अन्यायपूर्ण है। समझमें नहीं आता कि इस खण्डके अन्तर्गत जारी होनेवाले परवानोंके सम्बन्धमें मजिस्ट्रेटके सामने अपील क्यों नहीं हो सकती। लॉर्ड एलगिनने उपनिवेश-सचिवका पद ग्रहण करते समय कहा था कि वे एशियाइयोंके वर्तमान अधिकारोंका अपहरण न होने देंगे। किन्तु यदि विधेयकका मसविदा पास कर दिया गया और उसपर सम्राट्की मुहर लग गई तो एशियाइयोंका व्यापार चौपट ही हो जायेगा। याद रखना चाहिए कि ५००० एशियाई फेरीवालों और ५०० एशियाई दूकानदारोंकी जीविका खतरेमें पड़ गई है। एक अन्य खण्डके द्वारा नगरपालिकाओंको एशियाइयोंके लिए बाड़े या बस्तियाँ बनवानेका अधिकार दिया गया है। समय-समयपर इनकी जगह भी वहाँके निवासियोंके द्वारा की गई तामीरका मुआवजा अदा करके बदली जा सकती है। एक अन्य धारा नगरपालिकाओंको पैदल-पटरियोंपर चलनेके सम्बन्धमें भी नियन्त्रण करनेका अधिकार देती है। इस प्रकार यह विधेयक नगरपालिकाओंको तिहरे अधिकार देना चाहता है। परिणाम-स्वरूप एशियाई लोगोंको बस्तियोंमें जाकर बसना होगा, वे पैदल-पटरियोंपर कहीं नहीं चल सकेंगे और अपना व्यापार निर्विघ्न रूपसे नहीं कर पायेंगे। हम भरोसा करते हैं कि पिछले सोलह महीनोंसे काफी अनुभव प्राप्त कर चुकनेके बाद अब सम्राट्को सरकार ट्रान्सवालकी नगरपालिकाओंके हाथोंमें ऐसे अन्धाधुन्ध अधिकार नहीं सौंपेगी।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २३-५-१९०८