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पत्र: एम० चैमनेको

नीति-न्यायके नियमोंमें पारस्परिक भावनाका समावेश हो जाता है और उस भावनापर मालिक नौकरके सम्बन्ध निर्भर रहा करते हैं। कल्पना कीजिए कि मालिक अपने नौकरोंसे यथासम्भव अधिक काम लेना चाहता है, अपने नौकरोंको एक घड़ीका अवकाश नहीं देता, उन्हें कम वेतन देता है और उन्हें दरबों जैसे घरोंमें रखता है। संक्षेपमें, नौकर अपनी देह और जीवको साथ रख सके इतना ही वेतन (मालिक) उसे देता है। कोई कहेगा कि ऐसा करनेमें मालिक अन्याय नहीं करता। नौकरने अमुक वेतनपर अपना पूरा समय मालिकको दिया है और वह उसे लेता है। कितना कठिन काम लिया जाये, इस बातका निर्णय मालिक दूसरोंका काम देखकर करता है। यदि नौकरको अन्यत्र अधिक अच्छा वेतन मिलता हो, तो उसे दूसरी नौकरी कर लेनेकी स्वतन्त्रता है। लेन-देनके नियम बनानेवाले इसे अर्थशास्त्र कहते हैं। वे यह भी कहते हैं कि इस तरह कमसे-कम पैसेमें ज्यादासे-ज्यादा काम निकालने में मालिकका लाभ है, इसलिए अन्ततोगत्वा पूरी कौमका लाभ है और इसलिए नौकरोंका भी है।

परन्तु विचार करनेपर ज्ञात होगा कि यह बात ठीक नहीं है। यदि नौकर यन्त्र या मशीन होता और उसे चलानेके लिए केवल अमुक प्रकारकी शक्तिका ही उपयोग किया जाता तब तो इस प्रकारका हिसाब लागू होता। लेकिन यहाँ नौकरको चलानेवाली शक्ति उसकी आत्मा है और आत्माका बल अर्थ-शास्त्रियोंके सभी नियमोंको उलट दिया करता है और गलत साबित करता है। मनुष्य रूपी यन्त्रमें पैसा-रूपी कोयला डालनेसे अधिकसे-अधिक काम लिया जाना सम्भव नहीं। बढ़िया काम तो उसके द्वारा तभी होगा जब उसकी भावनाको जागृत किया जाये। मालिक नौकरके बीचका गठ-बन्धन पैसेका नहीं, प्रीतिका होना चाहिए।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २३-५-१९०८

१४६. पत्र: एम० चैमनेको[१]

[जोहानिसबर्ग ]
मई २३, १९०८

[ श्री एम० चैमने
एशियाई पंजीयक
प्रिटोरिया
महोदय,

मुझे नाबालिगोंके प्रवेशके सम्बन्धमें आपका इसी २२ तारीखका पत्र सं० ई० २६९८/७ प्राप्त हुआ। यदि आप कृपा करके उन लोगोंके नाम बता दें जो नाबालिगोंको लाये हैं, तो मेरा संघ सावधानीसे जाँच करेगा और सरकारको अधिकसे-अधिक सहायता देगा। किन्तु मैं विनयपूर्वक निवेदन करना चाहता हूँ कि जहाँतक ब्रिटिश भारतीय समाज और एशियाई अधिनियमका, जिसका हवाला आपने दिया है, सम्बन्ध है, सरकार और ब्रिटिश भारतीय

 
  1. यह "पुनः पंजीयन अधिनियम: त्वरित खण्डन" शीर्षकसे इंडियन ओपिनियनमें प्रकाशित हुआ था। इसका मसविदा कदाचित् गांधीजीका बनाया हुआ था।