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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

इसके अलावा श्री नायडू तथा श्री क्विनने श्री गांधीके समझौते सम्बन्धी लेखका समर्थन किया है और दस्तावेज वापस माँगे हैं। और भी लगभग १०० भारतीयोंने अपने प्रार्थनापत्र आदि कागजात संघके मन्त्रीको वापस भेज देनेकी बाबत श्री चैमनेको लिखा है।

इसका अर्थ

इस प्रकार स्वेच्छया दिये गये प्रार्थनापत्रोंको वापस लेनेका जो निश्चय हुआ है वह बहुत ठीक जान पड़ता है। श्री स्मट्सपर उसका बड़ा असर होनेकी सम्भावना है। यदि सरकार उन दस्तावेजोंको वापस करनेसे इनकार करे तो मेरा खयाल है, कानूनके मुताबिक उपाय किया जा सकता है। दस्तावेज वापस करना जनरल स्मट्सको भारी पड़ेगा, किन्तु दिये बिना चारा नहीं है। यदि वापस करते हैं तो नाक कटती है। किन्तु इस बातसे सबको यह मालूम हो जायेगा कि स्वेच्छया पंजीयनका क्या अर्थ होता है। यदि पंजीयन अनिवार्य होता, तो प्रार्थनापत्र वापस माँगनेकी बात ही नहीं उठाई जा सकती थी।

मुझे लगता है कि कुछ ही दिनोंमें संघर्ष समाप्त हो जायेगा; इस बीच कोई भारतीय फिर अनुमतिपत्र कार्यालयका नाम भी न ले।

जो ट्रान्सवालमें प्रविष्ट होना चाहते हों उन्हें फिलहाल इसका विचार छोड़ देना चाहिए। यदि जरूरत हुई तो दक्षिण आफ्रिकाके दूसरे भागोंमें बसे भारतीयोंको ट्रान्सवालके भारतीयोंकी मदद करनेके लिए सभाएँ करनी पड़ेंगी।

सर जॉर्ज फेरार तथा अन्य सज्जनोंसे सहायता लेनेकी चर्चा हो रही है। अंग्रेजी समाचारपत्रोंमें अगले हफ्ते यह बातचीत प्रकाशित होनेकी सम्भावना है। प्रकाशित होनेके पहले ऊपरके नोटिसोंके जवाबकी राह देखी जायेगी। संघर्ष फिरसे छिड़ गया है, इसलिए सब भारतीयोंको समझ लेना चाहिए कि संघर्ष उस कानूनके सम्बन्धमें है और इसपर बहुत शक्ति लगानी चाहिए। हम दलीलमें अँगुली और अँगूठेकी बात तर्करूपमें उठाते हैं, किन्तु कानूनको आगे रखकर ही। फिलहाल तो कानूनकी रूसे हमें हस्ताक्षर भी नहीं देने हैं।

अब हमारी माँग क्या हो?

यदि ऊपरके नोटिसोंका बिना बंदिशका जवाब देकर सरकार स्वेच्छया पंजीयनपर पानी फेर दे और भारतीय फिरसे कानूनके विरुद्ध सत्याग्रह करें तो इसके बाद जो समझौता होगा उसमें हम पहले की शर्तोंसे बँधे हुए नहीं रहेंगे। पहले हम स्वेच्छया पंजीयनके लिए वचनबद्ध थे। हम सच्चे हैं, यह जाहिर करनेके लिए हमने स्वेच्छया पंजीयनकी बात की थी। अब हमारी ईमानदारी अधिकांश रूपमें साबित हो चुकी है। इसलिए जब फिर समझौता होगा, तब हम अधिक माँगें रख सकते हैं। मेरे विचारसे हमारे लिए नीचे लिखे अनुसार माँगें रखना ठीक होगा:

(१) जिनके पास डच कालके वैध पंजीयन पत्र हैं उन्हें स्वेच्छया पंजीयनकी सुविधा मिले।

(२) जो खुले तौरपर, किन्तु अनुमतिपत्रके बलपर आये हैं, और कुछ अवधिसे यहाँ रहते हैं, उनको पंजीयन पत्र दिये जायें।

(३) जो अदालतमें यह साबित कर सकें कि वे शरणार्थी हैं, उन्हें आनेकी छूट मिलनी चाहिए।