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१६५. रोडेशियामें खूनी कानून

रोडेशियाके भारतीयोंपर काले बादल आते मालूम हो रहे हैं। वहाँ नया कानून गढ़ने की तैयारी हो रही है। एक तरफ भारतीय व्यापारियोंको हैरान किया जायेगा और दूसरी तरफ ट्रान्सवाल जैसा पंजीयनका कानून बनाया जायेगा। यानी इरादा यह है कि भारतीयोंको चारों ओरसे घेर लिया जाये। रोडेशियामें भी अन्तमें भारतीयोंको सत्याग्रहकी लड़ाईका आश्रय लेना होगा। यह लड़ाई, वहाँ गोरोंके साथ उनके सम्बन्ध कैसे हैं, कितने और कैसे भारतीय वहाँ रहते हैं[१], इन और ऐसी ही दूसरी बातोंपर निर्भर करती है।

इसके सिवा, वहाँके भारतीयोंको दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिको लिखते रहना चाहिए और पैसे भेजते रहना चाहिए। यह तो सबने देख ही लिया है कि यह समिति कितना अमूल्य काम कर रही है।

रोडेशियामें ट्रान्सवाल जैसा जो कानून बननेवाला है उसकी नकल हमने देखी है। यह कानून ट्रान्सवालके कानूनसे भी ज्यादा बुरा है, क्योंकि वह स्त्रियोंपर भी लागू किया जायेगा। और उसमें कहा गया है कि उसके पास होनेके छः माहके अन्दर जो भारतीय अपना पंजीयन करा लेंगे, वे ही करा सकेंगे। हमें समाचार मिला है कि रोडेशियाके भारतीय इसका विरोध करेंगे। उनके हाथमें [इस आशयकी] अर्जी की प्रतियाँ भी तैयार हैं। यदि वे इस प्रयत्नमें अपनी पूरी ताकत लगायेंगे तो यह कानून कदापि पास न होगा। और अपनी पूरी ताकत लगाना उनका कर्तव्य है।

यह उदाहरण सिद्ध करता है कि ट्रान्सवालमें लड़ाई शुरू करके हमने ठीक ही किया है और यह कि लोगोंको अपना प्रयत्न बराबर जारी रखना होगा। दुनियाके हरएक हिस्सेमें एशियाइयों और यूरोपीयोंके बीच झगड़ा चल रहा है। उसमें जीत उसीकी होगी जिसके पक्षमें सत्य होगा। अभी तो सत्य एशियाइयोंके पक्षमें मालूम होता है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १३-६-१९०८
 
  1. इसी दिनके इंडियन ओपिनियनके सम्पादकीयके अनुसार ऐसे भारतीयोंकी संख्या अनुमानत: ५०० से कम थी।