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पत्र: जनरल स्मट्सको

मुझे यह बतानेकी आवश्यकता नहीं है कि एशियाई अधिनियमके अन्तर्गत शरणार्थियोंको संरक्षण प्राप्त है, क्योंकि शान्तिरक्षा अध्यादेशके अनुसार उन्हें अनुमतिपत्र अभीतक नहीं दिये गये हैं। आपकी हिदायतों, तथा प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिनियमके कारण हाल ही में अनुमति पत्रोंका दिया जाना बन्द किया गया है। लेकिन मुझे विश्वास है कि आपका मंशा यह कभी नहीं रहा होगा कि जो लोग अब भी उपनिवेशसे बाहर हैं और जिन्हें निर्विवाद रूपसे पुराना अधिवासी सिद्ध किया जा सकता है, उनके दावोंपर विचार न किया जाये। शरणार्थियोंकी परिभाषा तथा अवधि-निर्धारण हो जानेसे सम्भावित जालसाजीका भय दूर हो जाता है।

मेरा आपसे अनुरोध है कि आप भारतीयोंकी उस महान सेवाको स्वीकार करें जो उन्होंने भीषण कठिनाइयोंके बावजूद अपनी अँगुलियोंके निशान देकर की है। आप कृपया यह भी स्वीकार करें कि समाजके उस भागने, जो यहाँका अधिवासी है, शैक्षणिक तथा सम्पत्ति-विषयक योग्यताओंके मामलेमें समझौतेकी मर्जी सम्बन्धी-धाराका लाभ नहीं उठाया। इसके पीछे मंशा यह था कि भविष्यमें आनेवाले थोड़े-से लोगोंको संरक्षण मिल सके और यह प्रकट हो सके कि एशियाइयोंमें शालीनताको, यदि इस शब्दका प्रयोग कर सकूँ तो, कितनी क्षमता है। लेकिन मैं यह भी कह दूँ कि जहाँतक मैं समझता हूँ, जब उनकी दूसरी तरहसे पूरी शिनाख्त हो सकती है, तब वे बाध्य करनेवाली कोई शर्त स्वीकार नहीं करेंगे। इसका अभिप्राय यह है कि अज्ञान या इसी प्रकारकी कोई और वस्तु अयोग्यताका आधार भले हो, किन्तु जाति या रंग न हो।

उपनिवेशियों द्वारा स्थापित यह महान सिद्धान्त स्वीकार कर लिया गया है कि भविष्यमें एशियाई प्रवासको उन्हीं लोगोंतक सीमित रखा जाये जिनके पास ऊँचे दर्जेकी शैक्षणिक योग्यता हो। किन्तु जो लोग देशमें रहनेके अधिकारी हैं वे इस कुटिल प्रतिबन्धको स्वीकार नहीं करेंगे।[१] और यदि यह समस्या उपर्युक्त आधारपर, जिसे मैं बहुत मुनासिब आधार समझता हूँ, नहीं हल होती तो बेहतर यही है कि वह कभी हल ही न की जाये।

जैसा कि आपने वचन दिया है, मुझे विश्वास है कि आप विधेयकके मसविदेको प्रकाशित करनेसे पहले मुझे दिखा देंगे।

मैंने ब्रिटिश भारतीय संघकी समितिको सूचित कर दिया है कि आपने मामलेको आगामी सप्ताहमें तय करनेका निश्चित रूपसे वचन दिया है। अतः समितिने मुझे अधिकार दिया है कि मैं इस बीच हलफनामोंका[२] दाखिल करना स्थगित रखूँ।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

जनरल जे० सी० स्मट्स
प्रिटोरिया

इंडिया ऑफिस, ज्यूडिशियल और पब्लिक रेकर्ड्स (२८९६/०८); हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४८२७/ अ) से भी।

 
  1. देखिए खण्ड ६, पृष्ठ २२८, २३६।
  2. ये हलफनामे २३ जून, १९०८ को दाखिल किये गये थे।