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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

(७) अतएव, प्रार्थी नम्रतापूर्वक प्रार्थना करता है कि यह सम्मान्य सदन उपर्युक्त तजवीजों को अस्वीकृत कर देनेकी अथवा अन्य किसी प्रकारकी राहत, जिसे सदन उचित समझे, देनेकी कृपा करे। और इस अनुकम्पाके लिए...इत्यादि, इत्यादि।

ईसप इस्माइल मियाँ
[ अध्यक्ष
ब्रिटिश भारतीय संघ ]

प्रिटोरिया विधानसभा आर्काइव्ज तथा कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स २९१/१३२ से।

१६९. प्रार्थनापत्र: ट्रान्सवाल विधानसभाको[१]

जोहानिसबर्ग
जून १५, १९०८

सेवामें
माननीय अध्यक्ष और सदस्यगण
ट्रान्सवाल विधानसभा
प्रिटोरिया,

ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्षकी हैसियतसे ईसप इस्माइल मियाँका प्रार्थनापत्र सविनय निवेदन है कि

१. इस उपनिवेशके सरकारी 'गज्रट' में हाल ही में प्रकाशित नगरपालिका प्रशासनसे सम्बन्धित कानूनका एकीकरण और संशोधन करनेकी दृष्टिसे प्रस्तुत विधेयकके खण्ड ६८, ९३, ९४, और १७२ को आपके प्रार्थीने गहरी चिन्तासे पढ़ा है।

२. आपके प्रार्थीकी नम्र रायमें यदि यह सम्मान्य सदन विधेयकके उन खण्डोंको मान्यता प्रदान करता है, तो वे ट्रान्सवाल निवासी ब्रिटिश भारतीय समाजको भारी कठिनाई और हानिमें डाल देंगे, अनेक शान्तिप्रिय और विधिचारी नागरिकोंको बरबाद कर डालेंगे और कितने ही भारतीय परिवारोंको छिन्न-भिन्न कर देंगे।

३. आपका प्रार्थी दृढ़तापूर्वक यह कहनेका साहस करता है कि चूँकि विधेयकके ये खण्ड प्रजाति और वर्गके भेदोंपर आधारित हैं, इसलिए ये ब्रिटिश भारतीय समाजको कभी सन्तोष नहीं दे सकते। इसके सिवा, यह भेदभाव उस समाजपर, जिसका प्रतिनिधित्व करनेका आपके प्रार्थीको सम्मान प्राप्त हुआ है, ऐसा लांछन लगाता है जिसका वह समाज पात्र नहीं है। कारण, इन भेदोंसे ट्रान्सवालके गोरे उपनिवेशियोंके मनमें अनिवार्य रूपसे ब्रिटिश भारतीयोंके

 
  1. यह इंडियन ओपिनियन में "ट्रान्सवाल नगरपालिका एकीकरण विधेयक: ब्रिटिश भारतीयोंका विरोध" शीर्षकसे प्रकाशित हुआ था।