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तार: उपनिवेश सचिवके निजी सचिवको

फोक्सरस्टमें उतार दिया गया। कार्पोरल केमेरानने १० पौंडकी जमानत तय की, किन्तु सार्जेंटके पास ले जानेपर जमानतपर छोड़नेसे इनकार कर दिया गया। छुट्टियाँ होनेके कारण उन्हें तीन दिन तक जेलमें रहना पड़ा और बादमें छुटकारा मिला। किन्तु तीन दिन व्यर्थ परेशानी हुई, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह प्रश्न सभी भारतीयोंपर लागू होता है। इसका सीधा और सरल रास्ता तो यह है कि भारतीयोंको शक्तिशाली बनना चाहिए और प्रत्येक आनेवाली अड़चनके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। कहा जाता है कि श्री सैयद मुहम्मदके ऊपर जो अत्याचार हुआ उसमें किसी भारतीयका हाथ है। यदि ऐसा हो, तो यह कहावत सच्ची उतरती है कि कुल्हाड़ीमें लकड़ीका बेंट लगे बिना लकड़ी नहीं कटती।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २०-६-१९०८

१७१. तारः उपनिवेश सचिवके निजी सचिवको[१]

[ जोहानिसबर्ग
जून १९, १९०८]

[ उपनिवेश सचिवके
निजी सचिव
प्रिटोरिया ]

हाँ

[ गांधी ]

गांधीजीके हस्ताक्षरोंमें लिखे मूल अंग्रेजी मसविदेकी फोटो नकल (एस० एन० ४८२८) से।

१७२. नेटालमें हत्याओंका कारण क्या है?

भारतीयोंकी हत्याके विषयमें हमारे लेखकी[२] बाबत एक लेखकने सूचित किया है कि इन हत्याओंका कारण है भारतीयोंमें फैला हुआ व्यभिचार। उस लेखकका कहना है कि अधिकांश हत्याओंके मूलमें स्त्रियाँ हैं। यदि यह बात ठीक हो तो बहुत दुःखदायक है। यह सम्भव नहीं है कि हमारा यह लेख, जो खून करनेमें लगे हैं अथवा जो खूनके कारण बने हैं, उनके हाथमें पहुँच सके। उन्हें अखबार पढ़नेका भान भी कैसे हो सकता है। किन्तु फिर भी जो इस अखबारको पढ़ते हैं उन्हें विचार करना चाहिए। प्रत्येक समझदार व्यक्ति समस्याके हमें सहायक बन सकता है। यदि यह बात ठीक हो कि भारतीय तरुणोंमें व्यभिचार बढ़ गया है, तो यह हमारी अवनतिका लक्षण है।

 
  1. यह तार उपनिवेश-सचिवके निजी सचिव, प्रिटोरियाके नाम निम्नलिखित तारके उत्तरमें ७-४० बजे शामको भेजा गया था: "क्या आप कृपा करके श्री स्मट्ससे चन्द मिनटोंके लिए मुलाकात करने कल ९-४० बजे रेलवे दफ्तरमें आ सकेंगे?"
  2. देखिए "नेटालमें हत्याएँ", पृष्ठ २७१-७२।