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१७५. सर्वोदय [६]

दौलतकी नसें

इस प्रकार अमुक जातिमें पैसेका घूमना शरीरमें रक्तके घूमने जैसा है। रक्त वेगसे दौड़ रहा है; वह या तो स्वास्थ्य अथवा व्यायामका चिह्न है या लाज पैदा होनेका अथवा ज्वरका सूचक है। शरीरपर रहनेवाली एक प्रकारकी लाली स्वास्थ्यका लक्षण है, दूसरे प्रकारकी लाली क्षय रोगका चिह्न हो सकती है। और जिस प्रकार रक्तका जमाव एक स्थानपर हो जानेसे शरीरको हानि पहुँचती है, उसी प्रकार एक ही जगह धनका जमा हो जाना जातिकी हानिका कारण हो जाया करता है।

कल्पना कीजिए कि दो मल्लाह नावके टूट जानेके कारण एक वीरान तटपर आ पड़े हैं। वहाँ उन्हें अपने परिश्रमसे अन्न इत्यादि उपजाना पड़ता है। अगर वे दोनों स्वस्थ रहते हुए साथ-साथ काम करें तो अच्छा घर बनायेंगे, खेत जोतेंगे और भविष्यके लिए कुछ बचा लेंगे। हम इसे सच्ची दौलत कह सकते हैं। और यदि वे दोनों अच्छी तरह काम करें तो उसमें दोनोंका हिस्सा बराबरका होगा। अर्थात् उनपर जो शास्त्र लागू हुआ, वह यह है कि अपने परिश्रमका फल बाँट लेनेका हक उन्हें प्राप्त हुआ। अब मान लीजिए कि कुछ समय पश्चात् उनमें से एकको असन्तोष हुआ। इसलिए उन्होंने जमीनका हिस्सा-बाँट कर लिया और हरएक अपने-अपने हिसाबसे अपना-अपना काम करने लगा। अब यह फर्ज कीजिए कि ऐन मौकेपर उनमें से एक अस्वस्थ हो गया। ऐसी स्थितिमें वह दूसरेको अपनी सहायताके लिए बुलायेगा। उस अवसरपर वह दूसरा व्यक्ति कह सकता है कि 'मैं आपका इतना काम कर देनेके लिए तैयार तो हूँ लेकिन शर्त यह है कि जब जरूरत पड़े तब मेरे लिए आप भी इतना ही करें। आपको मुझे यह लिखित रूपमें देना होगा कि जितने घंटे मैं आपका काम करूँ उतने घंटे मेरी जमीनपर, जरूरत पड़ने पर, आप काम करेंगे। अब मान लीजिए कि इस रोगीका रोग बहुत दिन चला और उसे हर अवसरपर उस स्वस्थ व्यक्तिके नाम ऊपरके अनुसार वचन लिखकर देना पड़ा। अब उस समय जब कि रोगग्रस्त व्यक्ति अच्छा होगा, उनमें से प्रत्येककी स्थिति क्या होगी? दोनों व्यक्ति गरीब हुए माने जायेंगे। क्योंकि बीमार आदमी रोगशय्यापर पड़ा रहा, उस बीच उसके कामका लाभ प्राप्त नहीं हुआ। स्वस्थ व्यक्ति बहुत ज्यादा काम करनेवाला है, ऐसा भी मान लिया जाये तो भी उसने जितना समय उस रोगीकी जमीनपर लगाया, उतना उसकी अपनी जमीनपरसे चला गया इतना तो ठीक ही है। इसलिए दोनोंकी जो पूँजी होनी चाहिए उसमें कमी हुई।

इतना ही नहीं, बल्कि दोनोंका पारस्परिक सम्बन्ध भी बदल गया। अस्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ व्यक्तिका ऋणी हो गया और वह अपना श्रम देकर ही अपना अनाज पा सकता है। अब फर्ज कीजिए कि उस स्वस्थ व्यक्तिने उस अस्वस्थ साथीसे मिले हुए दस्तावेजोंको काममें लानेका विचार किया। यदि वह ऐसा करे तो वह पूरी तौरसे आराम कर सकता है--आलसी बन सकता है। उसकी मरजीमें आये तो बीमारी से छुटकारा पानेवाले व्यक्तिसे कोई दूसरा