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द० आ० ब्रि० भा० समितिको लिखे पत्रका अंश

जनरल स्मट्सने समझौतेमें अनुचित उलट-फेर किया है और मैं यह कहने का साहस करता हूँ कि वे यह नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं। क्या उपनिवेशमें रहनेवाले अंग्रेज, जबकि उनका यह मुख्य मंशा कि भविष्य में एशियाइयोंके आव्रजनपर प्रभावशाली नियन्त्रण रखा जाये, पूरा किया जा रहा है, इस स्थितिको गवारा करेंगे?

आपका, आदि,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

इंडिया ऑफिस: ज्युडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, २८९६/०८

१७८. द० आ० ब्रि० भा० समितिको लिखे पत्रका अंश[१]

जून २२, १९०८

...स्मट्स अधिनियमको रद कर देंगे, किन्तु उन शर्तोंपर जिन्हें मैं स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने जो शर्तें रखी हैं वे हैं:

डच प्रमाणपत्र मान्य न किये जायेंगे।

युद्धसे पहलेके शरणार्थी, जिनके पास शान्ति-रक्षाअध्यादेशके अन्तर्गत दिये गये प्रमाण-पत्र नहीं हैं, प्रविष्ट नहीं हो सकते।

जो ऐच्छिक प्रार्थनापत्र रद कर दिये गये हैं, उनपर न्यायालयमें विचार न किया जायेगा।

जिनमें शिक्षा सम्बन्धी योग्यता है, उनको मान्य न किया जायेगा (स्मट्सका खयाल है कि वे वर्तमान अधिनियमके अन्तर्गत अयोग्य करार दिये गये हैं। मेरा खयाल है कि बात ऐसी नहीं है)।

उक्त शर्तोंको मानना सम्भव नहीं है, क्योंकि मेरे खयालसे इनमें समझौतेकी भावना नहीं आती...

[ अंग्रेजीसे ]

इंडिया ऑफिस: ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, ३७२२/०८

 
  1. यह पत्र श्री रिच द्वारा उपनिवेश कार्यालयको लिखे गये उनके ६ अक्तूबर, १९०८ के पत्रके साथ संलग्न ट्रान्सवालमें घटित होनेवाली घटनाओंके सार-संक्षेपसे लिया गया है।